जोधपुर. प्रसिद्ध कवि व साहित्यकार कृष्ण कल्पित ने कहा कि वर्तमान में कविता करना भी डरावना लगता है लेकिन अंतत: साहित्य ही है जो सारे संसार को हिम्मत देता है।
कल्पित ने बुधवार को यहां हिंदी दिवस के अवसर पर शहर के साहित्यकारों की काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि हिंदी की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार लोगों पर प्रहार करते हुए कविताएं सुनाईं। उन्होंने अपने गीत ‘लेखक जी तुम क्या लिखते हो, हम मिट्टी के घर लिखते हैंÓ और ‘जब भी कोई शहर को जाता है तो गांव रुमाल हिलाता हैÓ सुनाकर काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया। अध्यक्षता डॉ.अर्जुन देव चारण ने की। वरिष्ठ साहित्यकार हबीब कैफ ी ने गजलें और मीठेश निर्मोही ने हिंदी और राजस्थानी कविताएं सुनाई।
डॉ.पद्मजा शर्मा ने एक स्त्री की संवेदना को अभिव्यक्त करने वाली कविता ‘ मैं उसके सामने आती हूं बहुत छोटी होकर, वह इस खुशफहमी में रहता है कि वह मुझसे बड़ा हो गयाÓ सुनाकर दाद हासिल की। डॉ कैलाश कौशल, दिनेश सिंदल, नवीन पंछी, डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित, कमलेश तिवारी, डॉ नितिन व्यास, लता खत्री, संतोष चौधरी व चंचल चौधरी ने भी कविता पाठ किया। गोष्ठी में डॉ सत्यनारायण, अशफ ाक फ ौजदार, डॉ फ तेह सिंह भाटी, डॉ वीणा चुंडावत, डॉ मंदाकिनी शेखावत, माधव राठौड़ और विजय सिंह देवल भी मौजूद थे। संचालन मधुर परिहार ने किया।
Source: Jodhpur