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गजेंद्रसिंह दहिया/जोधपुर. उत्तर भारत में इन दिनों शादी-ब्याह के सावों की धूम है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि घोड़ी पर बैठे कई दुल्हे शादी से पहले अस्पताल होकर आए हैं। हाइपोस्पेडियास या एपीस्पेडियास की बीमारी ग्रस्त इन दुल्हों की डॉक्टरों ने सर्जरी से इलाज किया तब ये शादी के काबिल हुए हैं। जोधपुर के डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के अधीन एमडीएम अस्पताल में अब तक 1200 से अधिक मरीजों की इस बीमारी के लिए सर्जरी की जा चुकी है।

यह मूत्र रोग से जुड़ी जन्मजात बीमारी है। हाइपोस्पेडियास में पुरुषों के गुप्तांग की ओपङ्क्षनग शीर्ष द्वार से नहीं होकर guptang के नीचे होती है। एपीस्पेडियास में ओपनिंग linga के ऊपर होती है। इस बीमारी से ग्रसित पुरुषों को महिलाओं की तरह नीचे बैठकर या कपड़े खोलकर मूत्र त्याग करना पड़ता है। सामान्य पुरुषों के लिए होटलो, रेस्तरां सहित सार्वजनिक स्थानों पर बने यूरिनल को भी ऐसे मरीज इस्तेमाल नहीं कर सकते।

दो दशक पहले तक गांवों में जागरुकता कम थी। ऐसे में वयस्क बने ऐसे मरीज अब अस्पताल आकर सर्जरी करवा रहे हैं। हालांकि वर्तमान में अस्पतालों में ही प्रसव होने चिकित्साकर्मी खुद ही रोग की पहचान कर जन्म के समय ही बच्चे की सर्जरी कर देते हैं। सर्जरी में linga के ऊपर या नीचे की ओपनिंग बंद करके एक नलिका द्वारा शीर्ष द्वार से ओपनिंग की जाती है। साथ ही linga को भी अपनी स्थिति में लाया जाता है। इस बीमारी में दो-तीन सर्जरी करनी पड़ती है।

रक्त संबंध में शादी करने वालों में बीमारी अधिक
हाइपोस्पेडियास 3000 में से 1 और एपीस्पेडियास 4 लाख में से एक में होती है। बीमारी का पुख्ता कारण अभी अज्ञात है। यह आनुवंशिक भी होती है। पश्चिमी राजस्थान में इसके मरीज अधिक है। रक्त संबंध में शादी करने वाले जोड़ों की संतान में हार्मोन डिसऑर्डर होने से यह बीमारी होने की आशंका रहती है।

हर महीने दो-तीन मरीज
इस बीमारी के हर महीने दो-तीन मरीज आ जाते हैं। जागरुकता आने से अधिकांश सर्जरी शिशु अवस्था में ही हो जाती है। कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिनकी शादी से पहले सर्जरी की है।
डॉ. प्रदीप शर्मा, मूत्र रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर

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Source: Jodhpur

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