बाड़मेर. आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए एक चिंता का विषय है। वैज्ञानिकों के अनुसार औसत तापमान में 1 डिग्री सेंटीग्रेट की वृद्धि से फसलों की उत्पादकता में 5 से 10 प्रतिशत गिरावट आ सकती है। उक्त उद्गार केवीके दांता के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार ने मंगलवार को जलवायु सहिष्णु कृषि तकनीकों एवं पद्धतियों के व्यापक अभियान के अन्तर्गत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्बोधन के सीधे प्रसारण में उपस्थित किसानों को कही।
केन्द्र के पादप संरक्षण विशेषज्ञ शंकरलाल कांटवा ने बताया कि आज इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबन्धन संस्थान रायपुर छत्तीसगढ में लोकार्पण किया गया। भविष्य में यह संस्थान भारतवर्ष के लिए अनुसंधान एवं कृषि तकनीकों को इजाद कर फसलों की उत्पादकता वृद्धि में सार्थक सिद्ध होगा।
केन्द्र के शस्य वैज्ञानिक श्यामदास ने कृषकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज प्रधानमंत्री ने विभिन्न फसलों की 35 उन्नत किस्मों को देश के किसानों को समर्पित किया है, जो कि विभिन्न जैविक तथा अजैविक स्ट्रेस को सहन करने के साथ-साथ अधिक उत्पादन देने की क्षमता रखती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के द्वारा उत्पन्न विषम परिस्थितियों में भी किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने में सहायक होगी।
सहायक कृषि अधिकारी गिरीराज ने कृषक हितार्थ विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताया। कार्यक्रम प्रभारी कृषि प्रसार विशेषज्ञ हंसराज सैन ने बताया कि कार्यक्रम में 102 किसानों ने भाग लिया।
Source: Barmer News