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जोधपुर. शक्ति, भक्ति, आस्था और उपासना का त्योहार नवरात्र इस बार 7 अक्टूबर को घरों व मंदिरों में घट स्थापना से आरंभ हो रहा है। नवरात्र स्थापना के साथ अधिकांश घरों में प्रतिपदा को मातामह श्राद्ध किया जाएगा। मातामह नाना मातामही नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल प्रतिप्रदा नवरात्रि के दिन करते हैं। संतान ना होने की स्थिति में मातामह श्राद्ध के दिन नातिन (दोहिता ) तर्पण व पिण्डदान कर सकता है। अक्सर मातामह श्राद्ध पितृ पक्ष की समाप्ति के अगले दिन होता है और इस बार 7 अक्टूबर को होगा। नवमी या अमावस्या के दिन सर्व पितृ श्राद्ध पर तिथि पता नहीं होने पर भी श्राद्ध कर्म हो सकता है। जिनके नाम और गोत्र का पता नहीं हो उनका देवताओं के नाम पर भी तर्पण कर सकते हैं। परंपरा है कि लोग अपनी संतान नहीं होने पर दत्तक गोद लेते थे ताकि मृत्यु के बाद वो पिंडदान कर सके। मान्यतानुसार दत्तक पुत्र दो पीढ़ी तक श्राद्ध कर सकता है।

मातामह श्राद्ध में नाती कर सकते है तर्पण-पिंडदान

ज्योतिष अनीष व्यास ने बताया कि दिवगंत परिजन के घर में लड़का ना हो तो पुत्री की संतान यानी नाती (दोहिता ) भी पिंडदान कर सकता है। मान्यतानुसार लड़की के घर का खाना नहीं खा सकते इसलिए मातामह श्राद्ध के दिन नाती तर्पण कर सकता है।

क्या होता है मातामह श्राद्ध
पितृपक्ष में मातामह श्राद्ध एक ऐसा श्राद्ध है जो विवाहित पुत्री की ओर से अपने पिता व एक नाती की ओर से अपने नाना-नानी को तर्पण के रूप में किया जाता है। इस श्राद्ध को सुख शांति का प्रतीक माना जाता है । मातामह श्राद्ध उसी महिला के पिता के लिए किया जाता है जिसका पति व पुत्र जिंदा हो। अगर ऐसा नहीं है और दोनों में से किसी एक का निधन हो चुका है या है ही नहीं तो मातामह श्राद्ध का तर्पण नहीं किया जाता है।

Source: Jodhpur

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