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जोधपुर. गांधी के लिए सत्य और अहिंसा से बढ़कर कोई इंकलाब नहीं था। इन्हीं मूल्यों को आत्मसात कर गांधी सामान्य आत्मा से महान आत्मा बने। गांधी ने देशवासियों को सत्ता के भय से मुक्त किया और उन्हें नई लोकतांत्रिक चेतना प्रदान की। गांधी का विरोध किया जा सकता है लेकिन उनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती है। वे भविष्य की आशा है।

रेजीडेंसी रोड स्थित गांधी भवन सभागार में गुरुवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान केन्द्र व अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित नेमिचंद्र जैन ‘भावुकÓ स्मृति व्याख्यानमाला की 11 वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक राजेन्द्र बोड़ा ने कहा कि गांधी ने शस्त्र नहीं बल्कि अहिंसा के बल पर जन आंदोलन खड़ाकर सोए हुए देश को जगाया। गांधी का हृदय इतना विशाल था कि वे अपने विरोधियों को भी प्रेम से जीत लेने की ताकत रखते थे। इसी आत्मबल ने उन्हें महान बनाया। बोड़ा ने कहा कि गांधी के विचार वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य में भी प्रासंगिक बने रहेंगे। कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कौशलनाथ उपाध्याय ने कहा कि नेमिचंद्र जैन ‘भावुकÓ ने साहित्य व गांधी दर्शन के माध्यम से जोधपुर की सेवा की और शहर को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि गांधी जीवन दर्शन का नाम है। कार्यक्रम में डॉ. अजयवद्र्धन आचार्य, नेमीचंद गहलोत ‘सुशीलÓ , डॉ. कमल मोहनोत, हेमा शर्मा, गीता भट्टाचार्य, डॉ.सीके लोहरा, डॉ. संजय श्रीवास्तव, काजी मोहम्मद तैयब अंसारी, विजय शर्मा, डॉ. अशोक बोहरा, दिनेश सिंदल, भूराराम चौधरी, भूमेश्वरनाथ, हेमा शर्मा, संध्या जैन, दशरथ सोलंकी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भावेन्द्र शरद जैन ने व आभार धर्मेश रूठिया ने व्यक्त किया।

Source: Jodhpur

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