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जोधपुर. महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति न्यास भवन के तत्वावधान में महर्षि दयानन्द सरस्वती का 138वां निर्वाण दिवस दीपावली पर संकल्प दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत मुख्य यजमान के रूप में शामिल हुए। राज्यपाल सपरिवार महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति भवन पहुंचने पर स्वागत किया गया। शारदीय नवसस्येष्टि (दीपावली) के अवसर पर आचार्यश्री वरुणदेव पौरोहित्य में किए गए विशेष यज्ञ के मुख्य यजमान के रूप में राज्यपाल ने सपत्नीक आहुतियां दी। यज्ञवेदी पर उनके साथ प्रो. राजेन्द्र विद्यालंकार, ओएसडी और पूर्व लोकायुक्त राजस्थान जस्टिस सज्जनसिंह कोठारी भी सपरिवार मौजूद रहे।
यज्ञ के बाद विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को ऊनी वस्त्र प्रदान किए गए। सभाकक्ष में राज्यपाल सहित सभी अतिथियों का भावभीना स्वागत किया गया। राज्यपाल ने महर्षि दयानन्द की ओर से संक्षिप्त कार्यकाल में वेदप्रचार, पत्राचार के माध्यम से शंकाओं और प्रश्नों के उत्तर, पुस्तकों का प्रणयन और प्रकाशन, नारी शिक्षा, अछूतोद्धार आदि कार्य करते हुए विपरीत परिस्थितियों में क्रांति का बीजारोपण किया। अपने बाद स्वामी श्रद्धानन्द जैसे निर्भय क्रांतिकारी, महात्मा हंसराज जैसे शिक्षा-आंदोलनकारी और प्रचारकों के जत्थे निर्माण कर गए। आज भी महर्षि की विचारधारा प्रासंगिक और आवश्यक भी है।

महर्षि दयानंद कक्ष का किया अवलोकन
महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति भवन में महर्षि दयानन्द का आवास कक्ष देखकर राज्यपाल भावविभोर हो गए। राज्यपाल ने न्यास की ओर से संचालित चिकित्सालय, अतिथिशाला, भोजनशाला, जिम एवं आत्मरक्षा के प्रशिक्षण, गोशाला, वानप्रस्थाश्रम आदि परोपकार के कार्यों और भावी प्रकल्पों के रूप में आधुनिक पुस्तकालय, गुरुकुल, उपदेशक विद्यालय आदि कार्यों के बारे में जानकारी ली। इस ऐतिहासिक स्मारक की ऐतिहासिकता अक्षुण्ण रखते हुए इसे संरक्षित और सुरक्षित करने की प्रेरणा देते हुए इस कार्य के लिए दो लाख रूपए प्रदान किए। कार्यक्रम में आर्य वीर दल जोधपुर के जिला संचालक डॉ. महेश परिहार , आर्य समाज पाणिनि नगर के प्रधान वीरेंद्र जांगिड़, सूरसागर आर्य समाज मंत्री सोमेंद्र गहलोत, रामेश्वर जसमतिया, जयसिंह गहलोत, नरपत भाभा, कैलाशचंद्र उपस्थित थे ।

परिवार के साथ मंडोर देवल व संग्रहालय देखा

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत गुरुवार सुबह मंडोर उद्यान परिसर में बने राजकीय संग्रहालय, देवताओं की साळ, एक थंबा महल और प्राचीन देवल को देखा और प्राचीन स्थापत्य कला को देखकर अभिभूत हुए। इस दौरान उनके परिवार के सदस्य भी साथ में मौजूद रहे।

Source: Jodhpur

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