जोधपुर. मारवाड़ में शीतकालीन प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हुए पखवाड़ा बीत चुका है लेकिन वनविभाग और जिला प्रशासन की बेपरवाही थमने का नाम नहीं ले रही। दीपावली के दूसरे दिन से जोधपुर जिले के जलाशयों पर मेहमां परिन्दें कुरजां के शव मिलने के बाद वनविभाग ने पहले रानीखेत बीमारी मानकर कुरजां का उपचार शुरू किया, लेकिन जांच में बर्ड फ्लू घोषित होने के बाद पशुपालन विभाग भी सहयोग में जुट गया। वन अधिकारियों के अनुसार जोधपुर व पाली जिले के तालाबों पर पिछले एक पखवाडे में करीब 700 से अधिक कुरजां के शव बरामद कर उनका निस्तारण किया जा चुका है । लेकिन धरातल पर देखा जाए तो मारवाड़ के पाली जिले के सरदारसमंद सहित विभिन्न जलाशयों पर कुरजां की मौत की संख्या कई गुणा अधिक है।
जोधपुर जिले में मृत कुरजां की संख्या (वनविभाग के अनुसार )
6 नवंबर–57
7 नवंबर–15
8 नवंबर–27
9 नवंबर–09
10 नवंबर-11
11 नवंबर -21
12 नवंबर–09
13 नवंबर–16
14 नवंबर–152
15 नवंबर–46
16 नवंबर–15
17 नवंबर–40
18 नवंबर–09
19 नवंबर–13
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पाली में 220 कुरजां की मौत
पाली जिले के सरदारसमंद सहित आसपास के जलाशयों पर अब तक 220 कुरजां मृत मिली है। जिसका निस्तारण पशु पालन विभाग के सहयोग से किया जा चुका है।
शरतबाबू, उपवन संरक्षक पाली
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अब सुरक्षित ठोर की तलाश
कुरजां के प्रमुख पड़ाव स्थल जोधपुर जिले के फलोदी क्षेत्र के खींचन में पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पक्षी घर में सेवाएं देने वाले सेवाराम माली बताते हैं कि चुग्गाघर के आसपास सफाई के बाद पिछले दो तीन दिनों में पांच हजार पक्षी बढ़े हैं। क्षेत्र में कुरजां की मौत का एक भी मामला सामने नहीं आया है। कुरजां के अलावा विभिन्न प्रजातियों के पक्षी अभी आने की प्रक्रिया में हैं। उत्तरी ध्र्रुव वाला हिस्सा पक्षियों के लिए प्रतिकूल होने के बाद मारवाड़ में पक्षियों की आगमन तेज हो सकता है। ऐसे में यदि बर्ड फ्लू जैसी महामारी पर अंकुश नहीं लगा तो प्रवासी परिन्दे मारवाड़ से मुंह मोड़ सकते है।
रफ पक्षियों की संख्या में ठहराव
स्पेन, डेनमार्क, स्वीडन व नार्वे के तटीय क्षेत्रों से पलायन कर मारवाड़ में शीतकालीन प्रवास पर समूह में रहने वाले रफ पक्षियों का आगमन नवम्बर तक करीब 4 से 5 हजार रहता है। लेकिन इस बार यह संख्या एक से डेढ़ हजार के आसपास ही है।
जिला प्रशासन और संबंधित विभाग गंभीर नहीं
भोपाल भेजी गई मृत कुरजां की रिपोर्ट में बर्ड फ्लू वायरस पुष्टि होने के बाद जिला प्रशासन ने वन विभाग, पशुपालन विभाग व चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की मीटिंग ली। मीटिंग में दिए निर्देश कागजों तक ही सीमित हैं। चिकित्सा विभाग ने कलक्टर के आदेश पर एक दिन सर्वे करवाकर खानापूर्ति कर ली उसके बाद गठित टीमों में से एक भी कर्मचारी सर्वे व तालाबों के आसपास रहने वाले लोगों की जानकारी लेने नहीं पहुंचा। पशुपालन विभाग ने भी नाम मात्र मुर्गियों के सैंपल लेकर इतिश्री कर ली। उसके बाद विभाग का कोई नुमाइंदा नजर तक नहीं आया। विभागीय आंकड़ों से कई गुणा अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला जारी है।
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डॉ हेमन्त जोशी, सह अन्वेषक,वन्यजीव प्रबन्धन एवम स्वास्थ्य अध्ययन केंद्र,पशु चिकित्सा पशु विज्ञान महाविद्यालय, उदयपुर ……………………..सीधी बात—-…..
जोधपुर सहित मारवाड़ में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद सर्तकता जरूरी : डॉ. जोशी
पत्रिका-बर्ड फ्लू का संक्रमण बार-बार क्यों हो रहा है?
जोशी–एवियन इन्फ्लुएंजा का संक्रमण हमारे यहां ही नहीं पूरे यूरोप व एशिया में फैला है। पिछले कुछ महीनों में यूरोप में 100 से ज्यादा संक्रमण हुए हैं। नॉर्वे, फ्रांस, बेल्जियम, जापान, दक्षिणी कोरिया व चीन सभी महामारी की चपेट में हैं।
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पत्रिका–क्या यूरोप के बर्ड फ्लू व हमारे देश के बर्ड फ्लू संक्रमण में फर्क है।
जोशी–बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लूएंजा के स्ट्रेन में फर्क होता है। उदाहरण के तौर पर नोर्वे का बर्ड फ्लू एच 5 एन 1 स्ट्रेन है। जबकि जापान के बर्ड फ्लू का स्ट्रेन एच 5 एन 8 है। चीन के बर्ड फ्लू का स्ट्रेन एच 5 एन 6 है।
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पत्रिका-इन स्ट्रेन का क्या प्रभाव पड़ता है?
जोशी–इस साल चीन में 21 लोग एच 5 एन 6 स्ट्रेन से संक्रमित हुए हैं। जिसमे से 6 की मौत हुई थी। रशिया में भी एक केस मनुष्य में दर्ज हुआ है जो एच 5 एन 8 से संक्रमित था।
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पत्रिका-जोधपुर में स्ट्रेन एच 5 एन 1
जोशी-जोधपुर संभाग पिछले एक पखवाड़े में जिन कुरजां की मौत हुई, उनका स्ट्रेन एच 5 एन1 है जो कि पक्षियों के लिए काफी घातक है। हमें लगातार पक्षियों की मौत पर नजर रखनी होगी।
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पत्रिका–क्या एच 5 एन1 स्ट्रेन मनुष्य के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है?
जोशी–सामान्य रूप से एच 5 एन1 का पक्षियों से मनुष्य में संक्रमण का कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। परंतु वायरस बहुत जल्दी म्युटेंट हो जाता है। अत: वे लोग जो पोल्ट्री के सीधे संपर्क में हैं जैसे होटल में पोल्ट्री मीट बनाने वाले, पोल्ट्री फार्म वाले या चिडिय़ाघर में काम करने वाले कर्मचारियों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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पत्रिका–इसको रोकने का आखिर उपाय क्या है ?
जोशी-विदेशों में तो जैसे ही पता चलता है कि बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है वे तुरन्त फार्म की सभी बर्ड को मार देते हैं और जमीन के अंदर गाड़ दिया जाता है। होना तो हमारे यहां भी यही होना चाहिए। परंतु उससे मालिक को काफी नुकसान होता है इसलिए पॉल्ट्री फार्म मालिक निर्णय नही ले पाते हैं।
Source: Jodhpur