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जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कृषि (ग्रुप-2) विभाग की उस अधिसूचना के प्रभाव व क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है, जिसमें श्रीगंगानगर जिले में रीको औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कृषि उत्पादों के निर्माण तथा प्रसंस्करण में लगी इकाइयों के क्षेत्र को निजी गौण मंडी प्रांगण घोषित किया गया था।

न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकल पीठ में याचिकाकर्ता सारावागी रोलर फ्लोर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य इकाइयों की और से राज्य सरकार द्वारा 9 सितंबर को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विकास बालिया तथा संजीत पुरोहित ने कहा कि सरकार ने राजस्थान कृषि उपज विपणन अधिनियम के अंतर्गत विद्यमान कृषि उपज मंडी समिति के मंडी क्षेत्रों में विज्ञप्त कृषि जिंसों के क्रय-विक्रय के नियमन के लिए निजी गौण मंडी प्रांगण घोषित किया है, जिसमें रीको क्षेत्र में कृषि उत्पादों और प्रसंस्करण में लगी इकाइयों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि धारा 5 ए मूल प्रावधान है, जो निजी उप-बाजार यार्ड की स्थापना से संबंधित है और निदेशक या राज्य सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त कोई भी प्राधिकरण इच्छुक व्यक्ति को लाइसेंस प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि एक निजी बाजार केवल एक व्यक्ति द्वारा दायर किए जाने वाले आवेदन पर स्थापित किया जा सकता है। बालिया ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की इकाइयां रीको की सीमा के भीतर स्थित हैं और राज्य सरकार या कृषि विपणन निदेशक के पास न तो उसे विकसित करने की कोई जिम्मेदारी है और न ही विनियमित करने का अधिकार है। राज्य कृषि विभाग जिस क्षेत्र में याचिकाकर्ता की इकाइयां स्थित हैं, उस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं, सडक़, प्रकाश व्यवस्था आदि सहित कोई सुविधा या सेवा प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं है। एकल पीठ ने कहा- प्रथम दृष्टया हमारी राय मे यह अधिसूचना अधिनियम की धारा 5 (2) के तहत राज्य सरकार को उपलब्ध शक्तियों के विरुद्ध है। कोर्ट ने अधिसूचना के प्रभाव व क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।

Source: Jodhpur

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