जोधपुर। Good Friday 2022 श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। Jodhpur के गिरजाघरों में प्रार्थनाओं का दौर चल रहा है तो ईसाई समुदाय के लोग रक्तदान शिविर जैसे कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं। जोधपुर में कई धर्मगुरुओं ने भी गुड फ्राइडे पर रक्तदान किया। दरअसल, गुड फ्राइडे सुनकर लगता है कि ये कोई खुशी का दिन होगा, लेकिन असल में ईसाई समुदाय के लोग इस दिन को शोक दिवस या बलिदान दिवस (Sacrifice Day) के रूप में मनाते हैं। आज ही के दिन प्रभु ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।
ईसाई समुदाय के पवित्र ग्रंथों व इतिहास के अनुसार यहूदियों ने ईसाह मसीह को कई अमानवीय यातनाएं देने के बाद शुक्रवार के दिन सूली पर चढ़ाया और ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते हंसते अपना प्राणोत्सर्ग कर दिया था। इसलिए ही पूरी दुनिया में ईसाई अप्रेल के महीने के इस शुक्रवार को गुड फ्राइ डे को बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं। इस बार गुड फ्राइ डे 15 अप्रेल को मनाया जा रहा है।
ईसाई कलैंडर के अनुसार Easter Week के दौरान चार प्रमुख दिन आते हैं। इनमें Holy Thursday, गुड फ्राई डे, Holy Satuday व Easter Sunday शामिल हैं। गुड फ्राइ डे को होली फ्राइ डे, ग्रेट फाइ डे व ईस्टर फ्राइ डे या ब्लैक फाइ डे भी कहा जाता है। कई लोग गुड फ्राइडे को फास्टिंग डे के रूप में भी मनाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इसी दिन ईसा मसीह ने 40 दिन का उपवास पूरा किया था। इसके बाद ही ईसा मसीह ने मानव कल्याण, भाईचारा, एकता व शांति के उपदेश देने शुरू किए थे।
क्या आखिरी शब्द थे ईसा मसीह के
ईसा मसीह के उपदेश लोगों को इतने पसंद आए कि कई लोग उन्हें देवदूत मानने लगे थे। यह बात कई पाखंडी धर्मगुरुओं को पसंद नहीं आई और उन्होंने यहूदी शासकों के कान भरने शुरू कर दिए। यहूदी शासकों ने ईसा मसीह पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उन्हें सूली पर चढ़ाने का फरमान जारी किया। सूली पर चढ़ाने से पहले ईसा मसीह को कई अमानवीय यातनाएं दी गई। उन्हें कांटों का ताज तक पहनाया गया। फिर भी उनके मुंह से क्षमा व कल्याण के संदेश ही निकले। ईसाई समुदाय के लोग मानते हैं कि ‘प्रभु इन्हें माफ करना, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं….’ ईसा मसीह के आखिरी शब्द थे।
Source: Jodhpur