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Locust Attack Alert – जोधपुर. एशिया और अफ्रीका के देशों में टिड्डी को लेकर स्थिति नियंत्रण में है लेकिन नमी बढऩे के साथ भारत में टिड्डी का खतरा मंडरा सकता है। टिड्डी पाकिस्तान पहुंच गई है। पाक के ब्लूचिस्तान प्रांत के ग्वादर जिले की कई घाटियों में एकल (सॉलिटरी) टिड्डी मिली है जो अरब सागर से कुछ दूरी पर है। ईरान में भी टिड्डी रिपोर्ट की गई है। देश के राजस्थान और गुजरात के सर्वे में टिड्डी नहीं मिली। हालांकि पाक-ईरान में मिली टिड्डी सॉलिटरी फॉर्म में है। इसमें झुण्ड बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती है इसलिए अधिक खतरा नहीं है। अगले महीने भारत में मानसून ऑनसेट होने के साथ नमी युक्त मौसम मिलने से टिड्डी हमले की आशंका बढ़ जाएगी। टिड्डी जुलाई के बाद कभी भी आ सकती है हालांकि इस बार सभी देशों की ओर से तैयारी होने से अधिक खतरा नहीं रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ओर से मई के पहले सप्ताह में जारी बुलेटिन के अनुसार फरवरी-मार्च में कुछ टिड्डी ने पाकिस्तान में अण्डे दिए थे जिनसे अब वयस्क टिड्डी बन गई है। मार्च में ही ईरान में भी टिड्डी ने ब्रीडिंग की थी लेकिन दोनों ही स्थानों पर टिड्डी सॉलिटरी फॉर्म है। गौरतलब है कि टिड्डी दो अवस्था में रहती है। सॉलिटरी फॉर्म में टिड्डी केवल सामान्य कीड़े की तरह होती है। खुद का पेट भरने के लिए थोड़ा सा खाती है लेकिन जब यह ग्रीगेरियस फॉर्म में बदलती तो बड़े-बड़े घातक झुण्डों को जन्म देती है। ग्रीग्रेरियम फॉर्म में टिड्डी बहुत तेज, बहुत अधिक खाना खाने वाली,हमला करने वाली प्रवृत्ति धारण कर लेती है।

अगले महीने से दो देशों की बैठक
कोरोना से पहले भारत और पाकिस्तान के मध्य टिड्डी को लेकर जून से नवम्बर तक एक-दूसरे के देश में बैठक हुआ करती थी। एक महीने भारत के मुनाबाव और दूसरे महीने पाकिस्तान के खोखरापार में होती थी। कोरोना काल में सभी बैठकें ऑनलाइन ही हुई। भारतीय उपमहाद्वीप में जून से लेकर नवम्बर तक ही टिड्डी का खतरा रहता है।

पाकिस्तान में सॉलिटरी फॉर्म में टिड्डी मिली होगी, उससे अधिक खतरा नहीं है। भारत में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।
वीरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर

Source: Jodhpur

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