सूर्यप्रकाश -98.80
पिता- किसान
गांव- अणखिया(नोखड़ा)
पिता मानसिक विक्षिप्त और पंद्रह साल से इलाज चल रहा है, बेटे ने आर्थिक व पारीवारिक परिस्थतियों को पछाड़कर पढ़ाई में ध्यान दिया। दसवीं गांव से की और बारहवीं में बाड़मेर में आया। यहां कला वर्ग से पढ़ाई शुरू की लेकिन उसकी इच्छा विज्ञान की थी। आर्थिक स्थितियां आड़े आ रही थी। यहां फिफ्टी विलेजर्स संस्थान में प्रवेश लिया और पूरी मेहनत की। नतीजा 98.80 प्रतिशत परिणाम रहा। सूर्यप्रकाश कहता है इरादों में जान हों तो परिस्थितियां आड़े नहीं आती। डॉक्टर बनने की इच्छा है। यहां संस्थान में डा. भरत सारण और टीम ने पूरा सहयोग दिया,इसी का परिणाम है।
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बुआ ने पढ़ाया, भतीजा गुणगाते नहीं थकता
शेराराम-98.20
पिता-भमराराम
व्यवसाय-सब्जी का ठेला
गांव- रतरेड़ी कला
छह बहिने और तीन भाइयों का बड़ा परिवार। पिता जोधपुर में ठेला चलाते है। आर्थिक परेशानियां घर को घेरे थी तो बुआ ने अपने इस होनहार भतीजे को पढ़ाने का बीड़ा उठाया और दसवीं करवाई। इसके बाद बाड़मेर फिफ्टी विलेजर्स में दाखिला लिया। बारहवीं के परिणाम में 98.20 फीसदी बने तो वह बुआ के परिवार के गुण गाते नहीं थक रहा है, कहता है बुआ के बेटे रमेश की प्ररेणा रही है। फिफ्टी विलेजर्स का शुक्रिया।
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पिता का निधन, पढ़ाई नहीं छोड़ी
चेतनराम-97
पिता- सूजाराम
व्यवसाय-मजदूरी
गांव- मोतीसरा
सातवीं कक्षा में पढ़ता था तब पिता का निधन हो गया। दो भाई पढ़ रहे थे और तीसरा मैं था। आर्थिक परेशानी आ गई लेकिन पढ़ाई को नहीं छोड़ा। यहां बाड़मेर आकर पढऩा प्रारंभ किया और शिक्षकों के सहयोग मिला। परिणाम आशानुरूप रहा, अब मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं।
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पिता बोरिया ढोकर पढ़ा रहे
रायचंदराम -96.60
पिता-दौलाराम
व्यवसाय- डीसा में बोरियां ढोते
पिता को बोरिया ढोते है। कितनी मेहनत करते है। बस यही प्रेरणा और परिवार की विषम हालात मुझे पढऩे की प्रेरणा देते है। दसवीं में 84.83 प्रतिशत थे, सभी ने प्रेरित किया कि आगे जाकर बाड़मेर पढूं। यहां फिफ्टी विलेजर्स में रहकर स्वाध्याय किया, अब डॉक्टर बनूंगा। पिता का सहारा बनना है।
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पिता की मृत्यु बाद शादियों में रोटियां भी बनाई
महादेव- 95.80
पिता-हरचंदराम
गांव- सरणू पनजी
एक वर्ष का था,तब पिता का देहांत गुजरात में एक सड़क दुर्घटना में हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पढ़ाई का खर्चा बुआ का परिवार उठा रहा था। दसवीं में 83.33 प्रतिशत बने तो शिक्षकों ने बाड़मेर में पढऩे का कहा। यहां फिफ्टी विलेसर्ज में पढ़कर सफलता मिली, अब मुझे चिकित्सक बनना है।
अन्य
मुस्ताक खान
पिता- बाबूखान
गांव- माधासर(बायतु)
प्रतिशत-95.60
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चैनाराम
पिता-पूनमाराम
गांव-चाडों की ढाणी सिणधरी
प्रतिशत-95.60
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चेतनराम
पिता-बांकाराम
गांव-दरूड़ा
प्रतिशत-95.40
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Source: Barmer News