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World Bicycle Day: जोधपुर. कोरोनाकाल में फिटनेस को लेकर बढ़ी जागरुकता के कारण साइकिलों की खूब बिक्री हुई, लेकिन कोरोना संक्रमण के साथ साइकिलों की बिक्री भी घटने लगी है। साइकिल व्यापारियों की मानें तो कोरोना का असर कम होते ही बिक्री में 45 से 50 फीसदी तक की कमी आ गई है।

किसी जमाने में घर में साइकिल होना स्टेटस सिंबल माना जाता था, लेकिन 1990 के दशक के बाद साइकिलों की बिक्री कम होने लग गई। इस गिरावट को कोरोनाकाल ने थामा और एकाएक बिक्री ऐसी बढ़ी कि व्यापारी भी इसे साइकिल मार्केट का ‘गोल्डन टाइम’ मानने लगे। एक बार तो लोगों को मांगने पर भी साइकिल नहीं मिलती थी और एडवांस में बुकिंग तक बात पहुंच गई थी। अब फिर साइिकल के प्रति क्रेज कम होने लगा है और बिक्री आधी भी नहीं रह गई।

बच्चों की साइकिलें बिकती है
मार्केट में अभी गर्मी की छुट्टियों के कारण बच्चों की साइकिलों का क्रेज है। घंटाघर रोड के साइकिल मार्केट में दुकानों पर बच्चों की साइकिलों की खरीदारी हो रही है। बच्चों की साइकिलों के अलावा टॉय कार, बग्गी, वॉकर व झूलों की भी अच्छी डिमांड है।

रूटीन में उपयोग न के बराबर
अब साइकिलें या तो छोटे बच्चों के काम आ रही है या कुछ लोग फिटनेस के लिए साइिकल का इस्तेमाल कर रहे हैं। रूटीन में साइकिल उपयोग न के बराबर है।

कोरोनाकाल में साइकिलों की बिक्री में उछाल आया था। अब पहले की तरह की रूटीन में साइकिलें बिक रही हैं।
-सुरभित भण्डारी, पीसी भण्डारी, साइकिल मार्केट

कोरोनाकाल में फिटनेस को लेकर लोग जागरुक हुए तो साइकिलों की तरफ रुझान बढ़ा था, लेकिन अब वैसी बात नहीं है। इससे साइकिलों की बिक्री पर असर पड़ा है।
गौरव पुंगलिया, वल्लभ साइकिल, सरदारपुरा

पिछले करीब 25 सालों से साइकिल बेच रहे है। बच्चों की साइकिलों को लेकर क्रेज बढ़ा है। अभी गर्मी की छुट्टियां होने से किड्स साइकिलों की बिक्री में अच्छा रेस्पॉन्स है।
मुकेश चौहान, चौहान साइकिल स्टोर, साइकिल मार्केट

फैक्ट फाइल
– 20-25 से साइकिलों की दुकानें शहर में
– 10-12 हजार साइकिलें प्रति माह तक बिकी थी कोरोनाकाल में
– 5-6 हजार तक औसत रह गई अब बिक्री
– 5 हजार से 1 लाख तक है साइकिलों की कीमत

Source: Jodhpur

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