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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जोधपुर। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने मानसून की विदाई के वक्त अक्टूबर माह में भारत-पाकिस्तान सीमा पर टिड्डी आने की पुरजोर संभावना जताई है। इस दौरान क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश होगी। इससे टिड्डी समर ब्रीडिंग करेगी। हालांकि अफ्रीका और एशिया के हिस्सों में टिड्डी दल कम होने से भारी टिड्डी दल बनने की आशंका नहीं है। वर्ष 2020 में चक्रवात के कारण सामान्य से अत्यधिक बरसात होने से अधिक टिड्डी दल पैदा होने के कारण करीब ढाई दशक बाद सबसे बड़ा टिड्डी हमला हुआ था।

एफएओ के ताजा बुलेटिन के अनुसार इस साल भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून सामान्य से अच्छा रहेगा। प्रशांत महासागर में ला नीना की स्थिति और हिंद महासागर में नेगेटिव डायपोल बनने से मानसूनी बरसात की तीव्रता अधिक रहेगी। बारिश व मरुस्थल की स्थिति रेगिस्तानी टिड्डी के लिए वरदान होती है। बालू व नमी में वह तेजी से प्रजनन करके अपनी संख्या बढ़ाती है।

मई में बरसात नहीं, वनस्पति नहीं
अफ्रीका और एशिया के देशों में वर्तमान में टिड्डी को लेकर स्थिति नियंत्रित है। मई में बारिश नहीं होने से अधिकांश जगह सूखा रहने से वनस्पति नहीं के बराबर है। इससे टिड्डी को प्रजनन का मौका नहीं मिला। जून में पूर्वी इथोपिया को छोड़कर सभी जगह टिड्डी को लेकर स्थिति सामान्य रहने की संभावना है। जुलाई से सितंबर के बीच टिड्डी समर ब्रीडिंग करती है। इस दौरान बारिश होने से छोटे स्तर पर टिड्डी अंडे देगी। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के अलावा और अफ्रीकी देश सहेल व खाड़ी देश यमन में भी अक्टूबर में टिड्डी होने की आशंका है।

सर्वे में शांति
हमारी ओर से बॉर्डर पर लगातार सर्वे किया जा रहा है। फिलहाल भारत में कोई टिड्डी मौजूद नहीं है। भविष्य को लेकर भी हम तैयार हैं।
– वीरेंद्र कुमार, सहायक निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर

Source: Jodhpur

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