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Ancient Ponds: जोधपुर. अतिक्रमण के कारण दम तोड़ने उम्मेद सागर के लिए संघर्ष तो हमने देखा है, लेकिन इसके अलावा कई ऐसे प्राचीन और बड़े स्तर के जलाशय हैं, जो अंतिम सांसें ले रहे हैं। इनमें कई जलाशयों में तो नाममात्र का पानी संचित है तो कई जलाशय वर्षों से सूखे पडे़ हैं। इन पर न तो सरकार का ध्यान जाता है और न ही प्रशासन का।

फैक्ट फाइल
– 12 से ज्यादा बड़े जलाशय दुर्दशा का शिकार।
– 3 जलाशयों पर योजना बना कर प्रशासन कर रहा काम।
– 16 से ज्यादा बावडि़यां भी दम तोड़ने के कगार पर हैं।

आनासागर
मंडोर क्षेत्र का प्रमुख जलस्रोत रहा आनासागर कई मायनों में अहम है। इस प्राचीन जलाशय का अपना महत्व रहा है, लेकिन अब इसका कैचमेंट एरिया पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया है। ऐसे में वर्तमान समय में इसमें एक भी बूंद पानी का संचय नहीं हो रहा।

पूंजला नाडी
कभी पेयजल व सिंचाई का प्रमुख स्रोत रही पूंजला नाड़ी पर स्थानीय लोगों की सक्रियता तो नजर आती है, लेकिन प्रशासन इसमें मौन है। मानसून के दिनों में जिन रास्तों से यहां पानी की आवक होती है, उन्हें बंद कर दिया गया है। यहां भी आज की तारीख में किसी प्रकार से पानी की आवक नहीं है।

लालसागर
वर्तमान में कुछ हद तक पानी है, लेकिन वह भी नाममात्र। इसी का हिस्सा रहे क्षीर सागर के ओटे पर तो लोगों ने मकान तक बना लिए हैं। यही स्थिति इसके कैचमेंट क्षेत्र की भी है। पानी की आवक न के बराबर है। मानसून के दिनों के दो माह तक पानी भरा रहता है। इसके बाद धीरे-धीरे यह सिकुड़ कर मैदान का रूप ले लेता है।

बालसमंद
अब सिर्फ पर्यटकों को लुभाने का एक स्थान मात्र रह गया है। कभी मंडोर क्षेत्र का प्रमुख जलस्रोत था। अब महज कुछ पानी रहता है। इसके आस-पास का आवक क्षेत्र तो खदानों की भेंट चढ़ गया है। इस तालाब के चारों ओर खदानें के मलबे का ढेर भी देखा जा सकता है। इसमें भी आश्चर्य नहीं होगा कि मलबे से इस तालाब को पूरी तरह पाट दिया जाए।

जलाशय जो अब ग्रीन स्पेस के रूप में दिखेंगे
– महामंदिर क्षेत्र का मानसागर पूरी तरह से उद्यान का रूप ले चुका है।
– नया तालाब में भी ग्रीन स्पेस विकसित करने के साथ कुछ हिस्सा वाटरबॉडी के लिए रखा गया है।
– गंगलाल तालाब भी इसी तर्ज पर विकसित होना शुरू हो चुका है।
– बाईजी तालाब में भी वाटर बॉडी के साथ ग्रीन स्पेस विकसित करने का प्लान है।

उम्मेद सागर कर रहा संघर्ष
शहर के प्रमुख रिजर वायर के रूप में कायलाना-तख्तसागर व सुरपुरा बांध के साथ उम्मेद सागर का उपयोग भी हो सकता है। लेकिन न तो मानसून सीजन में पानी की आवक होती है और न ही लिफ्ट केनाल का पानी इसमें सहेजा जाता है। अतिक्रमण चिह्नित है, फिर भी कार्रवाई भी बजाय एक बार और कमेटी बना दी गई है।

Source: Jodhpur

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