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जोधपुर।
चंद वर्षो पहले मुक्केबाजी को सिर्फ पुरुषों का ही खेल माना जाता था। लेकिन मणिपुर की एमसी मैरीकॉम की अन्तरराष्ट्री स्तर पर सफलता और उसके बाद मैरीकॉम पर बनी फिल्म ने देश में ऐसा माहोल बनाया कि युवा लड़कियां जोखिम भरे इस खेल में रुचि ले रही है। महिला मुक्केबाजी में राजस्थान का प्रमुख नाम है और जोधपुर महिला मुक्केबाजी का गढ़ माना जाता है। प्रथम राजस्थान राज्य स्तरीय महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता भी वर्ष 2004 में जोधपुर में ही आयोजित हुई थी। जिसमें जोधपुर की 4 महिला मुक्केबाजों ने राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया था। तब से अब तक जोधपुर की महिला मुक्केबाजों ने अपने मुक्के के दम पर धाक जमाई है। वर्तमान में जोधपुर की 20 मुक्केबाजी अकादमियों में करीब 200 से अधिक महिला मुक्केबाज तैयार हो रही है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान मुक्केबाजी के जनक जोधपुर के ही मदनसिंह आर्य ने 1981 में राजस्थान मुक्केबाजी की नींव रखी थी।
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अर्शी 4 बार अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी
वर्तमान में महिला मुक्केबाजों में जोधपुर की अन्तरराष्ट्रीय खिलाड़ी और जोधपुर की मैरीकॉम अर्शी खान 4 बार अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। इसके अलावा लक्की शर्मा, नेहासिंह भांबू, डिंपलसिंह, बारबरा सेम्पसन, विधि गिरी, कामाक्षी आचार्य आदि लंबी फेहरिस्त है, जो राष्ट्रीय मुक्केबाज है। यह सभी खिलाड़ी जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय केंद्र पर कोच विनोद आचार्य के निर्देशन में अभ्यासरत है।


गत 5 वर्षों की महिला मुक्केबाजी, जोधपुर का दबदबा

– वर्ष 2016-17 अजमेर में आयोजित सब जूनियर जूनियर व यूथ मुक्केबाजी प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा।

– वर्ष 2017-18 में जोधपुर में आयोजित तीनों वर्ग की महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा।

– वर्ष 2018-19 कोटा में आयोजित तीनों वर्गों की प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा।

– वर्ष 2019 चुरू में आयोजित जूनियर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा।

– वर्ष 2021 में जोधपुर में आयोजित सब जूनियर मुक्केबाजी प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा व झुंझुनू में आयोजित सीनियर महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में जोधपुर विजेता रहा ।

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महिला मुक्केबाजी में भारत तीसरे नम्बर पर
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर महिला मुक्केबाजी का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। अल्प समय में ही भारत ने महिला मुक्केबाजी में काफी तरक्की की है। एमसी मैरीकॉम, सरिता देवी व अब निखत जरीन की कामयाबी के दम पर भारती की गिनती रूस व चीन के बाद तीसरे सफल देश के रूप में की जाती है।


ऐसे बढ़ता गया महिला मुक्केबाजी का क्रेज

– 2006 में पहली महिला विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता
– 2008 में बीजिंग ओलम्पिक में महिला मुक्केबाजी को शामिल किया गया

– 2010 में एशियाई खेलों में महिला मुक्केबाजी की शुरुआत हुई
– 2014 से महिला मुक्केबाजी की राष्ट्रमण्डल खेलों में जगह मिली

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मुक्केबाजी अकादमियों में तैयार हो रही महिला मुक्केबाजों को देखकर लगता है कि भविष्य में जोधपुर की महिला मुक्केबाज अपने मुक्के के दम पर जोधपुर का नाम रोशन करेंगी ।

विनोद आचार्य, मुक्केबाज प्रशिक्षक
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय मुक्केबाजी प्रशिक्षण केन्द्र

Source: Jodhpur

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