भारत करीब 8 साल पहले पोलियो मुक्त देश घोषित किया जा चुका है। डब्ल्यूएचओ ने तीन साल तक एक भी नया केस नहीं मिलने पर साल 2014 में पोलियो मुक्त कर दिया था। लेकिन पड़ोसी देश में पोलियो के मामले खत्म नहीं होने और वायरस की मौजूदगी के चलते राजस्थान के चार जिलों में अब भी खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते इन जिलों में राष्ट्रीय के साथ उपराष्ट्रीय पोलियो टीकाकरण अभियान चलाकर 0-5 साल के बच्चों को पोलियोरोधी खुराक पिलाकर बीमारी से सुरक्षित किया जा रहा है। राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान में पूरे भारत में बच्चों को खुराक पिलाई जाती है। विशेषज्ञ इसका कारण बताते हैं कि कई देशों में पोलियो के केस मिलने के मामले सामने आते रहे हैं। खुराक से बच्चे पोलियो की बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं
दो बूंद जिंदगी के नाम से जाने वाले अभियान में 0-5 साल के बच्चे शामिल होते है, जिनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है और पोलियो का वायरस उन्हें प्रभावित कर सकता है। पोलियो की खुराक पिलाने के बाद वह इस बीमार से सुरक्षित हो जात है। जब तक पांच साल का नहीं होता है, तब तक अभियान में पोलियो की खुराक पिलाई जाती है। वहीं डेंजर जोन में आने वाले राजस्थान के चार जिले बाड़मेर, जोधपुर, भरतपुर व अलवर के 0-5 साल के बच्चों को अतिरिक्त खुराक भी दी जाती है। जिससे उन्हें ज्यादा सुरक्षा मिल सके।
क्यों है चार जिले डेंजर जोन में
चिकित्सा विभाग का मानना है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो ंके मामले सामने आते रहे हैं। बाड़मेर-जोधपुर में पाक विस्थापित काफी संख्या में निवास करते हैं। इनके रिश्तेदार यहां आते-जाते रहते हैं। इसके कारण वायरस मूव करके यहां पहुंच सकता है। जब थार एक्सप्रेस चलती थी, तब पाक से आवाजाही ज्यादा रहती थी। इसी तरह भरतपुर व अलवर को भी वायरस के मद्देनजर डेंजर जोन में माना गया है और वहां पर भी बच्चों को अतिरक्त डोज के लिए दो उपराष्ट्रीय अभियान चलाए जाते है। जो साल 2014 से लगातार जारी है।
1985 में बरपा था पोलियो का कहर
भारत में 1985 में पोलियो वायरस ने कहर बरपाया था। इस साल भारत में करीब 1.50 लाख मामले सामने आए थे। एक जानकारी के अनुसार दुनिया भर में साल 2009 तक पोलियो के केस जितने केस मिले थे, उनमे से आधे से ज्यादा भारत के थे। राजस्थान में नवम्बर 2009 में पोलियो का आखिरी मामला मिला था।
Source: Barmer News