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बाड़मेर. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में तंगधार यूनिट पर बाड़मेर जिले के बाछड़ाऊ गांव के 8 जाट रेजिमेंट में तैनात पीराराम थोरी के शुक्रवार को शहीद होने की सूचना के बाद से ही क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है। बात होती है तो शहीद की चर्चा तक ही है। सपूत के बलिदान पर गर्व है तो गांव के लाडले को खोने का गम भी है।

बाछड़ाऊ गांव में शहीद की पार्थिव देह का इंतजार करते हुए गांव के हर बड़े-बुजुर्ग, युवाओं की आंखें नम होने के साथ देश रक्षा में प्राण देने पर गर्व भी नजर आया। बेटे के शहीद होने की जानकारी रविवार सुबह परिजनों को पता चल गई। उसके बाद परिजन गमगीन है। गांव के लोग उन्हें ढांढस बंधा रहे हैं। दो दिनों तक पिता व अन्य को बेटे के शहीद होने की जानकारी नहीं दी गई। ग्रामीणों ने बताया कि शहीद की देह आने पर बताएंगे। लेकिन रविवार को उन्हें कहीं से पता चल गया।

सेना के जवान पहुंचे गांव

रविवार को बाछड़ाऊ गांव में हर किसी की जुबां पर शहीद पीराराम की ही चर्चा थी। गांव स्थित पैतृक ढाणी के आसपास ग्रामीणों का आना-जाना नजर आया। शहीद होने की जानकारी पर शनिवार को ही सेना की जिप्सी में अफसर गांव पहुंचे। उन्होंने शहीद के घर की जानकारी जुटाई। साथ ही श्मशान घाट भी देखा। इसके बाद ग्रामीणों से जानकारी ली।

ड्यूटी से गांव पहुंचा छोटा भाई

सेना में तैनात छोटा भाई हेमाराम पंजाब के आबोहर में ऑन ड्यूटी था। भाई के शहीद होने की अधिकारी से सूचना मिलने पर गांव पहुंच गया। पिता वगताराम सहित माता व पत्नी सहित परिवार पैतृक ढाणी पर है। गांव की सूनी गलियों से लेकर चौराहे तक हर कोई लाडले की देह का इंतजार करते नजर आए। इससे पहले ग्रामीणों ने दो दिनों तक अबोहर से आए भाई को घर जाने से रोक लिया, ताकि परिवार तक शहीद होने की अभी खबर नहीं पहुंचे।

सदमे में परिवार, पत्नी की तबीयत बिगड़ी

बेटे के गम में परिवार सदमे में है। शहीद की पत्नी की तबीयत रविवार को खराब हो गई। उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां उपचार हुआ। सूचना मिलने पर रिश्तेदार व ग्रामीण पैतृक ढाणी पहुंच गए और परिवार के सदस्यों को संभाला।

2008 में हुआ था सेना में भर्ती

शहीद का आर्मी में 24 दिसम्बर 2008 को चयन हुआ था। वर्ष-2006 में पीजी कॉलेज में एनसीसी के कैडेट भी रहे। शहीद के पिता चिकित्सा विभाग से सेवानिवृत्त हैं। शहीद की शादी 2012 में वगतुदेवी से हुई। उनके दो पुत्र मनोज (4) व छोटा प्रमोद (2) है। शहीद का सबसे छोटे भाई हेमाराम भी सेना में हैं। सबसे बड़े भाई अमराराम व रेखाराम किसान है।

-वीर सपूत ने देश के लिए दिया बलिदान

गांव में गमगीन माहौल के साथ देश रक्षा करते हुए गांव के लाडले के बलिदान पर गर्व भी है। सेना के जवान गांव आए थे। ग्रामीण शहीद की देह के यहां पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं।
– मानाराम बेनीवाल, सरपंच, बाछड़ाऊ

Source: Barmer News

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