दिलीप दवे
बाड़मेर. एक और नया शिक्षासत्र शुरू हो गया और सरकारी विद्यालयों में सुविधाएं जस की तस ही नजर आ रही है। सरकार कहने को तो सह शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की बात कह रही है लेकिन हकीकत में अधिकांश विद्यालयों आर्ट रूम ही नहीं है। शिक्षकों को स्टाफ रूम नहीं मिल रहे हैं। एक हजार विद्यालयों में स्कूल तक पहुंचने के रास्ते नहीं है तो विशेषयोग्यजन के लिए पन्द्रह विद्यालयों में रैम्प ही नहीं है।
ऐसे में अध्ययनरत बच्चों का सर्वांगीण विकास नहीं हो रहा है। जिले में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक 4 हजार 752 विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें से 1145 विद्यालयों तक रोड नहीं है। कई जगह तो कटाण रास्ता नहीं होने से बारिश के दौरान आने-जाने में भी परेशानी विद्यार्थियों को झेलनी पड़ रही है। 1350 स्कूल ऐसे हैं जहां रैम्प नहीं है। इस पर विशेषयोग्यजन बच्चों को कक्षाकक्ष तक पहुंचने में पैर घिसने को मजबूर होना पड़ रहा है।
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सह शैक्षणिक गतिविधियां का नहीं मंच : सरकार की मंशा के अनुरूप हर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय में सह शैक्षणिक गतिविधियों के लिए आर्ट-क्राफ्ट रूम होना चाहिए, लेकिन जिले में 4 हजार 671 विद्यालय में अलग से ऐसी सुविधाएं नहीं है। गौरतलब है कि आर्ट क्राफ्ट रूम में विज्ञान, कला, वाणिज्य से संबंधित मॉडल, प्रदर्शनी, प्रतियोगिताएं आदि आयोजित की जाती है ताकि बच्चों का सह शैक्षणिक विकास हो सके, लेकिन 4 हजार 595 स्कूलों में इन सबकी कमी है।
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लाइट व चारदीवारी का अभाव : जिले में 1850 विद्यालय ऐसे हैं, जिसमें अभी तक विद्युतीकरण नहीं हुआ है। 471 स्कूल बिना चारदीवारी के होने से स्कूल बंद होते ही बेसहारा पशुओं डेरा डाल देते हैं। ऐसे में पौधरोपण भी करवाना संभव नहीं है। फोटो : जर्जर चारदीवारी का विद्यालय।
हर साल विद्यालयों में सुविधाओं की मांग को लेकर मांग पत्र बना कर उच्च स्तर पर भेजते हैं। स्वीकृति आने पर कार्यादेश जारी करते हैं। वैसे काफी सुविधाएं तो मिल रही है, जो कमी है उसको भी पूरा करने का प्रयास रहेगा। – जयप्रकाश व्यास, सहायक परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा अभियान बाड़मेर
Source: Barmer News