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सीआरपीएफ के जवान नरेश जाट के आत्महत्या करने के मामले में परिजनों से शव उठाने से इनकार कर दिया है। अपनी मांगों को लेकर परिजन जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। धरने पर बैठे नरेश जाट के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए हनुमान बेनीवाल भी पार्टी नेताओं और अपने समर्थकों के साथ महात्मा गांधी अस्पताल की मोर्चेरी पहुंचे हैं। नरेश जाट ने स्वयं को गोली मारने से पहले दो वीडियो संदेश रिकॉर्ड किए थे, जिसमें आरटीसी के कई अधिकारियों पर झूठ बोलने और परेशान करने का आरोप लगाया है।

घटना के बाद पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव सीआरपीएफ को दे दिया गया था, जिसे मंगलवार को नरेश जाट के परिजनों को सुपुर्द करना था। जहां पाली स्थित उनके गांव में अंतिम संस्कार होना था। इससे पहले मृतक जवान नरेश जाट के पिता लिखमाराम की और से करवड़ थाना में दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है। घटना के बाद लिखमाराम ने कहा था कि जब तक कार्रवाई नहीं हो जाती हम शव नहीं उठाएंगे। परिजनों की मांग है कि जिन अफसरों ने उसे टॉर्चर किया उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके अलावा उसकी पत्नी को नौकरी और बेटी की आजीवन शिक्षा की व्यवस्था हो। साथ ही उसके गांव में नरेश जाट की अंत्येष्टि से पहले उसे गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाए।

लिखमाराम कहते हैं अगर बेटा देश के लिए शहीद होता तो गर्व होता, लेकिन डिपार्टमेंट ने बेटे को इतना टॉर्चर किया कि उसको खुद को गोली मारनी पड़ी। अब इस बॉडी का वे क्या करें। आंखों में आंसू लिए लिखमाराम ने बताया कि वे रविवार रात 8:00 बजे आरटीसी पहुंच गए थे। दो घंटे बाद 10:00 बजे बेटे ने फोन बंद कर दिया इसलिए रात भर बाहर ही बैठे रहे। सुबह 8:00 बजे जब बेटे से वापस बात हुई तो उसने ऊपर बुलाया। नरेश अपनी बेटी कनिष्का को मुझे लेने के लिए नीचे भेज रहा था लेकिन क्वार्टर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया था। सीआरपीएफ जवानों को कहा तो उन्होंने बताया कि जब तक अधिकारी नहीं आएंगे तब तक दरवाजा नहीं खोला जाएगा। आईजी विक्रम सहगल 11 बजे पहुंचे। जैसे ही आईजी के पहुंचने का अनाउंस हुआ उसने खुद को गोली मार ली।

Source: Jodhpur

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