जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आठ साल की भतीजी के यौन शोषण के दोषी की ओपन एयर कैंप भेजे जाने को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पोक्सो एक्ट के तहत जघन्य अपराध में दोषी ठहराए गए बंदियों को ओपन कैंप में भेजा गया तो उनकी मौजूदगी से अन्य कैदियों के परिवारों के मन में उनके बच्चे सुरक्षित नहीं होने का भय पैदा होगा।
न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ में सजायाफ्ता राजेन्द्र ने ओपन एयर कमेटी के 23 फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें याची के ओपन एयर कैंप में भेजे जाने के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। याची के अधिवक्ता ने कहा कि कमेटी ने राजस्थान कैदी ओपन एयर कैंप नियम, 1972 के नियम 3 का हवाला देते हुए आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता को अपनी ही भतीजी के यौन शोषण के जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है। अधिवक्ता ने कहा कि नियमानुसार वर्गीकृत अपराधों के लिए दोषी अपराधियों को आमतौर पर ओपन एयर कैंप में भेजे जाने के लिए पात्र नहीं माना गया है। नियमों में उल्लेखित आमतौर पर शब्द की कोर्ट पहले भी कई बार व्याख्या कर चुका है, जिसमें यह माना गया है कि आमतौर पर शब्द किसी अपराधी के ओपन एयर कैंप में भेजे जाने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाता। इसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल कुमार जोशी ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी ही आठ साल की भतीजी पर यौन हमला करने के आरोप में पोक्सो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है। ओपन कैंप में कैदी अपने परिवारों के साथ रहते हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता को ओपन कैंप भेजे जाने से अन्य बंदियों के परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाए जाने की गंभीर आशंका होगी।
दिया कड़ा संदेश
कोर्ट ने कहा-हमारा मत है कि नियम 3 के अनुसार आम तौर पर शब्द को लेकर निश्चित रूप से दोषियों के अपराधों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए विचार किया जाना चाहिए। ओपन एयर कैंप की सुविधा दोषियों को समाज में पुनर्वास का अवसर देती है, जहां वे अपने परिवार को परिसर में अपने साथ रख सकते हैं और वे अपनी आजीविका कमाने के लिए दिन के समय शिविर से बाहर भी जा सकते हैं। पोक्सो एक्ट के तहत जघन्य अपराध में दोषी ठहराए गए बंदियों को ओपन एयर कैंप में भेजा गया तो उनकी मौजूदगी से अन्य कैदियों के परिवारों के मन में यह भय जरूर पैदा होगा कि उनके बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे कैदियों को ओपन एयर कैंप में रहने की अनुमति देने से संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है। स्वयं याचिकाकर्ता को वहां जोखिम होगा। खंडपीठ ने कहा कि एक उदार अर्थ में भी आमतौर शब्द पर विचार करते समय अधिकारियों को निश्चित रूप से अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए एक दोषी के आवेदन पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
Source: Jodhpur