धर्मसिंह भाटी। जानवी अब आठ वर्ष की हो गई है। वह जन्म से ही मूक बधिर है। अभी वह दूसरी कक्षा में पढ़ती है। शिक्षक जो पढ़ाते हैं, उसे वह अन्य बच्चों की तरह सुन लेती है, लेकिन इस नन्ही-सी जान के सुनने-सीखने की कीमत साढ़े पांच लाख रुपए है। जानवी के कानों में 5.50 लाख रुपए की एक मशीन लगी है, जिसके सहारे वह सुन पाती है। मशीन नहीं तो जानवी के कानों में जान नहीं। इस मशीन को लेकर एक संकट खड़ा हुआ है, जिसके चलते जानवी की मां सोनल चिंतित है। मां की चिंता यह है कि मशीन का साथ नहीं रहा तो जानवी की पढ़ाई रुक जाएगी। इस परिस्थिति में इस मां ने राजस्थान सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
नई मशीन लेना बूते से बाहर
जानवी के परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य है। वह अपने स्तर पर मशीन का मेंटेंनेंस करवाने में तो सक्षम है, लेकिन नई मशीन खरीदना इनके बस में नहीं है। इस स्थिति में उन्होंने राजस्थान सरकार से आस लगाई है कि वह भी गुजरात सरकार की तरह जानवी को नि:शुल्क मशीन उपलब्ध करवाए। सोनल ने चाइल्ड लाइन के जरिए जिला कलक्टर को वस्तुस्थिति बताई है। कलक्टर ने जानवी का प्रकरण सीएमएचओ को भिजवाया है।
मशीन को लेकर यह संकट
जानवी परमार की मां सोनल ने बताया कि उसका ससुराल बाड़मेर में है, पीहर गुजरात में है। वर्ष 2016 में गुजरात सरकार ने जानवी को फ्रीडम साउंड प्रोसेसर मशीन नि:शुल्क उपलब्ध करवाई। इस मशीन से बच्ची का जीवन सामान्य हो गया। वर्तमान में करीब साढ़े पांच लाख रुपए मूल्य की इस मशीन पर सालाना 35 से 50 हजार रुपए के बीच मेंटेनेंस खर्च आता है। जिसे परिवार वहन करता है, लेकिन मशीन लगाने वाली कम्पनी वर्ष 2023 में बंद होने जा रही है। जिसके चलते मेंटेंनेंस व पार्टस की सुविधा भी बंद हो जाएगी। इस स्थिति में जानवी को नई मशीन की दरकार है।
परिवार की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह अपने स्तर पर मशीन खरीद सके। यह अपने आप में अलग तरह का केस है, इसलिए यह भी नहीं पता कि सरकार की किस योजना में मदद हो सकती है। इन्हें मदद की जरूरत है। हम जिला प्रशासन व सरकार के स्तर से मदद दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
-महेश पनपालिया, निदेशक चाइल्ड लाइन
जिला कलक्टर के यहां से प्रकरण हमारे पास आया है। हमने बच्ची के परिजनों को बुलाया है। करीब साढ़े पांच लाख रुपए की मशीन है। चिरंजीवी योजना या आरजीएचएस की गाइडलाइन दिखवा रहे हैं। इन योजनाओं में अथवा अन्य विकल्पों से हम इस बच्ची को मशीन अवश्य उपलब्ध करवाएंगे।
-डॉ. बाबूलाल विश्नोई, सीएमएचओ बाड़मेर
Source: Barmer News