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जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मथुरादास माथुर के कार्डियोलॉजी विभाग में एक वृद्ध मरीज के ह्रदय की धमनियों में जमे कैल्शियम को एक ही जगह चार अलग-अलग तरीकों से उपचार कर मरीज को निजात दिलाई गई। जबकि हृदय की धमनियों में जमे कैल्शियम के उपचार के लिए एक या दो तरीके काफी होते हैं, लेकिन किसी एक ही रोगी में कैल्शियम काटने के चारों तरीकों की जरूरत पड़ना काफी दुर्लभ हैं, लेकिन चिकित्सकों ने सूझबूझ के साथ रोगी का बेहतर उपचार कर दिखाया। कार्डियोलॉजी विभाग के सहआचार्य डॉ. रोहित माथुर ने बताया कि वृद्ध (70) छाती में दर्द की शिकायत लेकर भर्ती हुआ था। एंजियोग्राफी में हृदय की दो मुख्य धमनियों में कैल्शियम मिश्रित ब्लॉकेज पाए गए। रोगी को बाइपास ऑपरेशन की सलाह दी गई, लेकिन रोगी और उसके परिजन सहमत नहीं हुए। डॉ. माथुर ने बीमारी को चैलेंज समझ काम शुरू कर दिया और उन्होंने आखिर एंजियोप्लास्टी का निर्णय लिया। केस की नाजुकता को देखते हुए प्रिंसिपल डॉ. दिलीप कच्छवाहा और एमडीएमएच अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित की स्वीकृति से एंजियोप्लास्टी को आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना से फ्री किया गया।

इन चार तरीकों से दिया ऑपरेशन को अंजाम
डॉ. माथुर ने बताया कि इस इलाज में स्टेंट लगाने से पहले स्कोरिंग बैलून (जिसमें कैल्शियम काटने के लिए बैलून पर तार लगे होते हैं)। ओपीएन एनसी बैलून (दो तह वाला बैलून जो काफी दबाव में भी फटता नहीं है)। रोटा एब्लेशन (कैल्शियम काटने के लिए हीरे से बने बर्र को 1,60,000 आरपीएम पर इस्तेमाल करना) और इंट्रावेस्क्यूलर लिथ्रोप्सी-आइवीएल (ध्वनि तरंगों से कैल्शियम काटना) जैसे तरीकों से कैल्शियम को नेस्तानाबूद किया गया। फिर मरीज स्टेंट लगाए गए। स्टेंट लगाने के बाद आइवीयूएस पद्धति से हृदय की धमनियों के अन्दर से सोनाग्राफी की जाती है। पद्धति के बाद सामने आया कि कैल्शियम वाली जगह पर स्टेंट भलिभांति खुल गया और मरीज में किसी प्रकार का कॉम्पिलिकेशन नहीं दिखा। दो दिन में मरीज को डिस्चार्ज टिकट थमा दिया गया। ऑपरेशन व उपचार में सहयोग डॉ. पंकज, डॉ. विप्लव. डॉ विवेक. डॉ मनीष, कैथलेब स्टाफ महेन्द्र व्यास, योगेश, मनोज, शिमिला, सियोना, प्रीति, सरोज, शोभा, रणवीर, जितेन्द्र सहित टीम का रहा।

Source: Jodhpur

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