जोधपुर।
जिले के पढ़े-लिखे व उच्च शिक्षित युवाओं का अब खेती की ओर रुझान बढ़ रहा है। युवा पारम्परिक खेती के साथ उत्पादित विभिन्न कृषि जिंसों के उत्पाद तैयार कर औद्योगिक इकाइयां लगाकर न केवल आत्मनिर्भर बन रहे है बल्कि रोजगार लोगों को रोजगार भी दे रहे है। जिले में 14 लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में कृषि जिंसों का उत्पादन होता है। जिसमें प्रमुख रूप से बाजरा, मूंग, मूंगफली, मोठ, मिर्ची, जीरा, इसबगोल, गेंहू, सरसों, चना, मेथी, धनिया, प्याज, लहसुन, पोदीना, अनार, आंवला, केर, कुमट, सांगरी, गुंदा की खेती बड़े पैमाने पर होती है। युवा इन फसलों को प्रसंस्करित करके अपने उत्पाद लोकल व बाहरी जिलों व राज्यों में भी पर्याप्त आपूर्ति कर रहे है। जिले में करीब 200 से अधिक इकाइयाें में एग्रो प्रोडक्ट्स का उत्पादन हो रहा है।
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पहचान बना चुका बाजरा
जिले में स्थानीय स्तर पर बाजरे के बिस्किट, चॉकलेट व केक काफी प्रशंसा पा रहे है। हालांकि वर्तमान में वृहद स्तर पर इनका विशेष टर्नओवर नहीं है। यह लघु उद्योग की श्रेणी में आता हैं। इसलिए बाजरा की अच्छी उपलब्धता के बाद प्रोसेसिंग व उत्पादन के लिए इकाई व मशीनरी का आसानी मिलने पर यह कार्य आसानी से किया जा सकता है, तो इससे करीब 80 से 1 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता हैं।
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ये उत्पाद भी हो रहे है तैयार
मूंग-मोठ- दाल व नमकीन
बाजरा- दलिया, चॉकलेट, केक, बिस्किट
जीरा- मसाला
सरसों- तेल
मूंगफली- तेल, पीनट बटर
अनार- जूस, ऑयल
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ये इकाइयां चल रही
प्याज डिहाइड्रेशन, लहसुन पेस्टए ग्रेडिंग व सॉर्टिंग इकाई, ऑइल उद्योग, अनार व गाजर जूस उद्योग, मेंथा आयल इकाई, गुलाब जल व इत्र इकाई सहित विभिन्न आयुर्वेद उत्पादों से औषधि निर्माण इकाइयां।
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जिले में 200 से अधिक प्रोसेसिंग इकाइयों में एग्रो प्रोडक्ट्स तैयार किए जा रहे है। वर्तमान में युवाओं को इकाइयों के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही है।
सुरेन्द्रसिंह, सचिव
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि उपज मंडी समिति जोधपुर
Source: Jodhpur