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दिलीप दवे

बाड़मेर . सरकारी स्कूल हो या फिर निजी विद्यालय, हरेक में ड्रेस कोड होता है जिसके अनुरूप ही विद्यार्थियों को स्कूल आना होता है। यूनिफॉर्म विद्यार्थियों को अनुशासन की पहली सीख देती है लेकिन प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में दो साल से स्कूल ड्रेस ही नहीं है। सरकार ने निशुल्क यूनिफॉर्म देने की घोषणा तो कर दी लेकिन यह तय करने में वक्त लग गया कि स्कूल ड्रेस का वितरण कैसे हो। ऐसे में इस बार स्वतंत्रता दिवस पर बच्चे कौनसी डेस पहन कर आएं यह तय नहीं है।

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2021 के बजट भाषण में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को निशुल्क यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रदेश के 64479 सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के 70 लाख बच्चों को सिली हुई स्कूल ड्रेस देने की घोषणा की गई। इसके बाद निर्णय बदला और तय किया कि सरकार विद्यार्थियो के यूनिफ़ोर्म के लिए कपड़ा देगी, सिलवाने का काम स्कूल मैनेजमेंट कमेटी करेगी।

पीटी, परेड में नजर नहीं आएगी समानता –अमूमन स्कूलों में पीटी, परेड में बच्चे एक साथ एक ड्रेस में नजर आते हैं और नजारा भी मनमोहक होता है लेकिन इस बार बच्चे अपने घर की ड्रेस पहन कर आएंगे जिस पर समानता नजर नहीं आएगी।

 

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राष्ट्रीय पर्व पर होगी परेशानी-सरकार के निर्णय की पालना नहीं होने के कारण अभी तक स्कूलों को न तो ड्रेस मिली है और ना ही सिलाई के रुपए। यह भी तय नहीं है कि कैसे वितरण होगा। इधर, निशुल्क ड्रेस मिलने की घोषणा पर अभिभावक भी यूनिफॉर्म नहीं बना रहे हैं। ऐसे में दो सत्र से बच्चे मनमर्जी की ड्रेस पहन कर स्कूल आ रहे हैं। अब स्वतंत्रता दिवस पर भी ऐसा ही होगा। एक विद्यार्थी को 2 यूनिफॉर्म मिलेगी। प्रति विद्यार्थी राजस्थान सरकार अधिकतम 600 रुपए खर्च करेगी। साथ ही तय हुआ कि छात्रों को हल्की नीली शर्ट व गहरी भूरी/धूसर नेकर/पेंट, छात्राओं को हल्की नीली शर्ट/ कुर्ता, गहरी भूरी/धूसर सलवार/ स्कर्ट दी जाएगी। कक्षा 5वी तक छात्राओं को चुन्नी नहीं मिलेगी जबकि कक्षा 6 से 8 तक की छात्राओं को चुन्नी जाएगी।

 

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जल्द ही मिले ड्रेस-सरकार जल्द ही बच्चों को निशुल्क स्कूल ड्रेस देने की घोषणा पर अमल करे। पहली से आठवीं के बच्चे स्कूली यूनिफॉर्म में नहीं आते जिस पर अनुशासन नहीं दिखता। सरकार स्कूल ड्रेस उपलब्ध करवाए।- बसंत कुमार जांणी, जिलाध्यक्ष राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा बाड़मेर

Source: Barmer News

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