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गणपत विश्नोई

बाछड़ाऊ ( बाड़मेर). शहादात पर मेला….। केवल फिल्मों और कहानियों में सुना था, लेकिन आज मेरी आंखों के सामने था। गौरव और गर्व के क्षण ने रोम-रोम को उत्साहित कर दिया। शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए पीराराम थोरी की पार्थिव देह उसके गांव बाछड़ाऊ पहुंचने वाली थी। तीन दिन से यह गांव और आसपास के कई गांवों के लोग एक-एक पल से अपने लाडले के आने का इंतजार कर रहे थे।

किसी के इंतजार में इतने लोगों का हुजूम मैने आज तक नहीं देखा…आना भी ऐसा कि सदा के लिए जाना…। पांच किलोमीटर तक कतार में लोग खड़े थे..इतने लोग इस गांव में नहीं है, लेकिन आसपास के जितने गांवों में यह खबर थी, सारा कामकाज छोड़कर आकर खड़े थे। सर्दी की सुबह में महिला-पुरुष, वृद्ध,बीमार और बच्चे सभी बार-बार पीराराम अमर रहे…शहीद पीराराम अमर रहे के नारे लगा रहे थे।

हर किसी के जुबान पर एक ही था…अभी आ जाएगा..अभी आने वाला है..। मोबाइल पर भी कहां पहुंचे…कब तक पहुंचेंगे। इंतजार खत्म हुआ और एक लंबा काफिला और सेना के वाहन सामने दिखे तो मानो न मानो आज तक रेगिस्तान में मैने इस तरह आंखों में आंसू, दिल में जोश और देशभक्ति का ज्वार नहीं देखा था..।

दूर-दूर तक हर कंठ अपनी पूरी ताकत से शहीद के जयकारे लगाते हुए आंसू थाम नहीं पा रह था…जैसे ही निकलता पीराराम अमर रहे और रेगिस्तान की मिट्टी में बोलने वाले के आंसू गिर पड़ता..मानो शहीद को उनकी यह सबसे बड़ी श्रद्धांजलि हो। यह जमीन जो आज तक बारिश की बूंदों से ही भीगी थी..सच मानो पहली बार इस रेगिस्तान में इतने सारे लोगों के इतने आंसू गिरे कि जमीन का आंचल भी अपने लाल को गोद में लेने से पहले खूब रोया होगा..।

गांव की हर गली छोटी पड़ गई थी। घर के छोटे से आंगन में जहां यह शहीद पला-बढ़ा वहां तिरंगे में लिपटकर जैसे ही लाया गया…शहीद के घर पर हुए विलाप और क्रंदन से कलेजा कंपाने लगा। पिता, मां, भाई, दो छोटे-छोटे बेटे, पत्नी और परिजनों की अंासूओं ने मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू बहा दिए थे। साथ आए सैन्य अधिकारियों की आंखों में पानी बरसने लगा था..। पिता वगताराम ने बेटे की सूरत देखी तो बिलख पड़े।

पहली बार मैने देखा कि एक पिता अपने पुत्र को मौत पर भी आशीष दे रहा था..मानो कह रहा हो..तूं मेरा नहीं देश का बेटा है और फिर पिता ने दोनों हाथ जोड़ दिए ..जैसे कह रहा हो बेटा, तूं धन्य है..। छोटे-छोटे बेटे इतनी सारी भीड़ में पापा को देखने आए तो केवल विलाप ही करते रहे..हजारों लोगों की भीड़ में ये दोनों मासूम जैसे आज अकेले हो रहे थे..। घर के आंगन से शहीद की पार्थिव देह अंतिम यात्रा को चली। फूल, आंसू, आशीष, जयकारे जिसके पास जो भावना व श्रद्धांजलि थी समर्पित हुई।

अंतिम विदाई के ऊंचे धोरों के आगोश में हो रही थी। धोरे पर जहां-जहां नजर जाती लोग थे…कर चले हम फिदा का गाना गूंज रहा था….सैन्य अधिकारी सशस्त्र व ससम्मान अंतिम विदाई दे रहे थे….शहीदों की मौत पर लगेंगे हर बरस मेले….वतन पर फिदा होने वालों का यही निशां होगाा…शहीद पीराराम थोरी की विदाई रेगिस्तान के छोटे से गांव बाछड़ाऊ की रेत के कण-कण में जब तक सूरज चांद रहेगा अमर रहेगी..।

पिता की जुबानी

तीन माह पहले एक दिन की छुट्टी पर आया था। उस समय मैं नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ था। 16 नवंबर को मेरी आखिरी बात हुई थी। कहा था कि बहुत बर्फबारी हो रही है। सबके हालचाल पूछे और कहा कि जब छुट्टी मिलेगी आऊंगा अभी तो देशसेवा में हूं। 22 नवंबर को जानकारी मिली की बेटा शहीद हो गया। वह बहुत ही मजबूत और परिश्रमी था। यहां आने पर खेती के काम में हाथ बंटाता था। मुझे गर्व है मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ।-वगताराम, शहीद के पिता

पीराराम के मित्र बाबूलाल की जुबानी

पीराराम मेरे से एक कक्षा आगे था। बहुत मेहनती और सही सोच का व्यक्तित्व था। वह जब फौज की नौकरी करने लगा तो मुझे भी गाइडेंस किया। उसने बीएड किया था और इसके बाद कहता था कि फौज से सेवानिवृत्ति बाद शिक्षक बनूंगा। उसका छोटा भाई हेमाराम भी उसी की प्रेरणा से फौज में है।

स्कूल का नाम और प्रतिमा

परिजनों ने बताया कि गुड़ामालानी विधायक ने बाछड़ाऊ स्कूल का नाम शहीद के नाम से करवाने और केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने शहीद की प्रतिमा के लिए 10 लाख रुपए देने की बात कही है।

गौरव और गम का माहौल

बुधवार को शहीद के घर पहुंचा तो यहां परिजन गौरव के साथ गम के माहौल में थे। शहीद की मां और पत्नी सदमे से उबर नहीं पाए है। दोनों मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया है, उनके लिए अभी यह अनजान स्थिति है।

पत्रिका अपील

शहीद के परिवार की मदद के लिए समाज के हर मंच से अपील की जा रही है। शहीद की पत्नी वगतूदेवी के एकाउंट में यह मदद करने की जा सकती है। वीरांगना का एकाउंट नंबर एसबीआइएन0006095, खाता नंबर 32899217934

ब्रांच-एसबीआइ प्रतापजी की प्रोल बाड़मेर है।

Source: Barmer News

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