बाढ़मेर/बालोतरा। प्रदेश में बाढ़ के हालात के साथ ही अब निर्माणाधीन रिफाइनरी ( Barmer Refinery Project ) को भी बाढ़ ( Flood in Rajasthan ) और अतिवृष्टि में पानी भराव से बचाने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। रिफाइनरी के चारों तरफ बंडवॉल बनाई जाएगी जो रिफाइनरी ( Refinery ) के भीतर पानी को आने से रोकेगी। इसके लिए आइआइटी रूडक़ी ( IIT Roorkee ) ने प्रोजेक्ट तैयार किया है। रिफाइनरी पचपदरा के सांभरा क्षेत्र में है। जहां पर दलदली जमीन है और पानी को लेकर खतरा भी अधिक है। बारिश ज्यादा होने पर रिफाइनरी को इससे बचाने के लिए अब यहां पर बंडवॉल का निर्माण करवाया जाएगा जो एक तरह से तटबंदी होगी। रिफाइनरी क्षेत्र से निकलने वाला पानी इस वॉल से टकराकर दिशा बदल देगा। मिट्टी की भराई करने के बाद पत्थर या कंक्रीट के प्लास्टर, मिट्टी आदि के मिश्रण से बनने के बाद पत्थरों की पिंचिंग की जाएगी।
भारी बाढ़ से भी टलेगा खतरा
आइआइटी रुडक़ी के सुझाव के बाद एचपीसीएल ( HPCL ) की ओर कंसल्टेंट एजेंसी से बंडवॉल की डिजायन तैयार करवाई गई। इस डिजायन के हिसाब से भारी बाढ़ भी रिफाइनरी की दीवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी। रिफाइनरी स्थल के आसपास समुद्र तल से लगभग 106 मीटर की ऊंचाई तक बाढ़ या बरसाती पानी के आने की आशंका है। इस पर एचपीसीएल की ओर जमीन के स्तर के अनुरूप समुंद्र तल 108 मीटर की ऊंचाई के हिसाब से बंड वॉल का निर्माण करवाया जाएगा।
एमपीटी में बनी है गेबियन वॉल
मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल ( MPT ) का निर्माण 2003 में प्रारंभ हो गया था और 2006 में कवास की बाढ़ आई थी। कवास की बाढ़ से चारों तरफ नुकसान हुआ। बाढ़ का पानी भी मंगला क्षेत्र के भीतर से निकल गया। इस पर तत्काल यहां पर गेबियन वॉल बनाई गई है जो विश्व में उच्च स्तरीय मानी जाती है। दस मीटर से अधिक चौड़ी और बीस मीटर से अधिक ऊंची इस वॉल में ऐसे आरसीसी के ज्वाइंट है जो हजारों क्यूसेक पानी की मार सह सकते हैं।
रेगिस्तान में अब होने लगे पानी से बचाव के प्रयास
रेगिस्तान में जहां पहले बारिश और उसके बाद बाढ़ दोनों कल्पना से परे थे। साल 2006 की कवास की बाढ़ ने इस कल्पना को तोड़ दिया। इसके बाद गुड़ामालानी, बालोतरा और अन्य जगहों पर बाढ़ के हालात पैदा होते रहे हैं। इसलिए रिफाइनरी, तेल कुओं को पानी से बचाव के उपाय किए जा रहे हैं।
Source: Barmer News