जोधपुर , प्रथम पूज्य भगवान गणेश के जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी के लिए इस बार जोधपुर में इको फ्रेण्डली गणपति प्रतिमाओं पर महंगाई की मार नजर आएगी। कोविड प्रोटोकॉल के कारण दो साल बाद 31 अगस्त से मनाए जाने वाले गणपति महोत्सव के लिए जोधपुर में मूर्तिकार इस बार भी उम्मीद के अनुरूप ऑर्डर नहीं मिलने से चिंता में है।
गुजरात से मंगानी पड़ रही माटी
सिवांची गेट भीका प्याऊ बावरी बस्ती में करीब 200 से अधिक इॅको फेण्डली गणपति प्रतिमाएं तैयार कर रहे मूर्तिकार शंकर चौहान ने बताया कि इको फ्रेंडली प्रतिमाओं के तैयार करने में तालाबों की चिकनी मिट्टी गुजरात से मंगवानी पड़ रही है। जोधपुर पहुंचने तक 50 किलो चिकनी माटी बैग के एक हजार रुपए तक चुकाने पड़ रही है। यही कारण है छोटी बप्पा की मूर्ति की लागत 5 से 7 हजार हो चुकी है। शंकर ने बताया कि अभी तक सात मूर्तियों के ऑर्डर ही मिले है जिनमें से दो प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के है। शंकर ने बताया कि कोरानाकाल के कारण पिछले दो साल से गणपति बप्पा मूर्ति के ऑर्डर नहीं मिलने से परिवार को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था और इस बार बारिश के साथ चिकनी माटी महंगी होने से मूर्तियों की बिक्री को लेकर चिंतित है।
वे कहते है गुजरात में जिस तरह चिकनी माटी की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार को सुविधा मिलती है उस तरह की सुविधाएं राजस्थान में भी मिलनी चाहिए।
गणपति की इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार शंकर बावरी ने बताया कि बचपन से वे अपने पिता किशन बावरी से मूर्ति बनाने की कला सीखी थी । गणपति बप्पा की 10 फ़ीट की प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणपति प्रतिमा जोधपुर से हैंडीक्राफ्ट व्यवसायी के माध्यम सेअमरिका के केलिफोर्निया भेजी जाएगी ।
Source: Jodhpur