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जोधपुर. इस बार वनविभाग की नर्सरियों में पौधरोपण के लिए नाम मात्र पौधों के वितरण का लक्ष्य होने के कारण मानसून खत्म होने से पहले ही सरकारी नर्सरियां हांफने लगी है। इस साल जोधपुर जिले के शेरगढ़, डोली, सालावास, गुड़ा विश्नोइयां, शेखाला, भूतेश्वर व लॉक्सवेल नर्सरी में 1 लाख 40 हजार पौधे अलग-अलग सरकारी एजेंसियों संस्थाओ तथा आमजन को वितरित का लक्ष्य रखा गया था। जोधपुर शहर में वनविभाग की प्रमुख लॉक्सवेल नर्सरी में पौधे 20 दिन पहले ही खत्म हो चुके है। दूसरी भूतेश्वर नर्सरी में नाम मात्र पौधे बचे है। ग्रामीण क्षेत्र में नरेगा के लिए रिजर्व पौधों से काम चलाया जा रहा है। वर्षाकाल में पौध वितरण के लिए नर्सरियों में बड़े पौधे नदारद होने का फायदा निजी नर्सरियों को मिल रहा है । नतीजन आम आदमी को पौधरोपण के लिए जेब से कई गुणा ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है ।

ऐसे तो लक्ष्य दशकों बीत जाएंगे

राज्य वन नीति 2010 के तहत जिले को 20 प्रतिशत हरा – भरा करने के लक्ष्य तय किया था । जोधपुर जिले के 22 हजार वर्ग किमी में वनक्षेत्र 2 प्रतिशत से भी कम है । ऐसे में हर साल भी यदि एक प्रतिशत क्षेत्रफल 220 वर्ग किमी को हरा – भरा करने का लक्ष्य भी तय होता है तब भी हरा भरा होने में दशकों लग जाएंगे ।

अब अगले साल 10 गुणा ज्यादा पौधे

राज्य सरकार ने वनविभाग की नर्सरियों का लक्ष्य अगले वर्ष के लिए दस गुणा ज्यादा कर दिया है। अगले साल जोधपुर जिले में वनविभाग की नर्सरियों में 26 लाख पौधे तैयार कर वितरित किए जाएंगे। वनविभाग की नर्सरियों में नि:शुल्क औषधिय पौधों का वितरण किया जा रहा है। जिले में करीब 80 हजार परिवारों को छह लाख 73 हजार औषधिय पौधे तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा व कालमेघ वितरित किए जा रहे है।

मदनसिंह बोड़ा, सहायक उपवन संरक्षक जोधपुर

Source: Jodhpur

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