जोधपुर. देश में 63 प्रतिशत से अधिक मौतें नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज (गैर संचारी रोग- ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कैंसर, ह्रदय रोग, लकवा सहित) कारणों से होती हैं। भारत में ह्रदय की मृत्यु दर सबसे अधिक हैं। पिछले 4 दशकों से दक्षिणी एशियाइ देशों में स्ट्रॉक की घटनाओं में सौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई हैं। ये बात एम्स जोधपुर में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एम्स व ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी इन्कूबेटर के संयुक्त तत्वावधान में हाइपरटेंशन की देखभाल को सुढृढ़ बनाने विषयक वर्कशॉप में सामने आई।
वर्कशॉप में एम्स स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एकेडमिक हैड डॉ. पंकज भारद्वाज ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य रहा कि हाइपरटेंशन का मैनेजमेंट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक हो जाना चाहिए। इसके लिए सीएचओ को ट्रेंड किया जाए। ये ट्रेनिंग चूरू व बीकानेर में हो चुकी है। एम्स राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ट्रेनिंग देने को तैयार है। विशेषज्ञों ने मीटिंग में कहा कि युवाओं को हार्ट अटैक आना कहीं न कहीं अवेयरनेस की कमी है, जो कमी दूर करनी होगी। कार्यक्रम में भागीदारी एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग एचओडी डॉ. सुरेंद्र देवड़ा, कस्तूरबा हेल्थ सोसायटी महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज वरधा सचिव डॉ. बीएस गर्ग, डब्ल्यूएचओ जयपुर से सीवीएचओ डॉ. पियूष गुप्ता, गुवाहटी मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल कम चीफ सुप्रीडेंट डॉ. अच्युत सीएच, एनएचएसआरसी सी. कंसल्. डॉ. अनंता कुमार, एसएनएमसी के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. अरविंद माथुर, आइसीएमआर एनआइआइआर के डायरेक्टर डॉ. अरूण के शर्मा, फार्माकॉलोजी के एडिशनल प्रो. डॉ. जयकरण चारण, डीजीएल नोडल ऑफिसर यूपी डॉ. राय बहादुर, ग्लोबल हेल्थ एडवोकेसी की लोपा घोष, एम्स गोरखपुर के डॉ. यू वेंकटेश, कम्यूनिटी मेडिसिन व फैमिली मेडिसिन एम्स जोधपुर से डॉ. अखिल डी गोयल व आइएमए जोधपुर सचिव डॉ. सिद्धार्थ लोढ़ा और एम्स ऋषिकेश से डॉ. प्रदीप अग्रवाल का प्रजेंटेशन व बतौर चेयरपर्सन भूमिका रही। कार्यक्रम में एम्स जोधपुर डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा व उपनिदेशक एनआर विश्नोई भी मौजूद रहे। सीएएमचओ डॉ. जितेंद्र राजपुरोहित, आरसीएचओ डॉ. कौशल दवे सहित कई डॉक्टर्स मौजूद थे।
देश में होने वाली मौतों में एनसीडी की बड़ी भागीदारी
नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज यानी एनसीडी देश की जीडीपी भी प्रभावित करती है। साथ ही आजीवन की बीमारियां हैं और इस कारण जेब पर भी भार बढ़ाती है। इस कारण जरूरी है कि इन बीमारियों का जल्द से जल्द स्तर पर इनका निराकरण हो जाना चाहिए। ये बहुत बड़ा पब्लिक हेल्थ चैलेंज हो गया है। देश में होने वाली मौतों में एनसीडी की बड़ी भागीदारी हो गई है।- डॉ. एएम कादरी, एग्ज्यूकेटिव डायरेक्टर, स्टेट हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर, परिवार एवं कल्याण विभाग, गांधीनगर, गुजरात
प्रयासों के बाद कॉम्पिलिकेशन आना चुनौती
पहले जमाने में हाइपरटेंशन बुजुर्गों में होता था, अब युवाओं में हो रहा है। यदि आज पीएचसी में दवाएं नहीं है और मरीज दवा नहीं ले रहा तो उसका स्वास्थ्य खराबा हो रहा है। हाइपरटेंशन साइलेंट होते हैं , उसमें पता तक नहीं चलता। इसमें मरीज फिर कॉम्पिलिकेशन के साथ आते हैं, जिनका इलाज फिर चुनौती बनता है।- डॉ. सुरेखा किशोर, एग्जयूकेटिव डायरेक्टर, एम्स गोरखपुर।
9 प्रतिशत हाइपरटेंशन व 6 प्रतिशत में डायबिटीज डाइग्नोस
प्रदेश में 3 करोड़ की टारगेटेड यानी 30 वर्ष से अधिक आयु की आबादी में से 60 प्रतिशत से ज्यादा की स्क्रीनिंग करवा चुके हैं। इसमें से भी 90 प्रतिशत से ज्यादा का उपचार शुरू हो चुका है। इसमें से 9 प्रतिशत हाइपरटेंशन व 6 प्रतिशत में डायबिटीज को डाइग्नोस किया गया है। साथ ही सब सेंटर व हेल्थ सेंटर पर इलाज की सुविधा दे रहे हैं।- डॉ. अरूण वशिष्ट, स्टेट नोडल ऑफिसर, एनसीडी राजस्थान
Source: Jodhpur