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थार रेगिस्तान में मौजूद तेल क्षेत्रों से उत्पादन सोमवार को 14वें वर्ष में प्रवेश करेगा। पिछले तेरह सालों में बाड़मेर के विभिन्न ऑयल फील्ड्स से 66 करोड़ बैरल से अधिक का उत्पादन हो चुका है। यह भारत का सबसे विशाल स्थलीय तेल भंडार है।
थार में साल 2004 में खोजा गया तेल क्षेत्र उस वर्ष की सबसे बड़ी वैश्विक खोज थी और 25 वर्षों में भारत की सबसे बड़ी तटवर्ती खोज रही है। 29 अगस्त 2009 को पहली बार तेल मिलने के बाद से अकेले मंगला ऑयल फील्ड ने अब तक 49 करोड़ बैरल से अधिक तेल का उत्पादन किया है।
केयर्न ऑयल एंड गैस भारत के घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान देता है। कंपनी के राजस्थान ब्लॉक से आने वाले अधिकांश उत्पादन में मंगला, भाग्यम व ऐश्वर्या शामिल हैं। सामूहिक रूप से दोनों ने वित्त वर्ष 2021 की स्थिति के अनुसार राष्ट्रीय और राज्य के खजाने में 19 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है। ब्लॉक से संचयी उत्पादन 600 करोड़ बैरल को पार कर गया है।
सौर ऊर्जा से चलेगी मंगला पाइपलाइन
मंगला क्षेत्र ने एन्हांस्ड ऑयल रिकवरी (ईओआर), अल्कलाइन सर्फैक्टेंट पॉलिमर (एएसपी) तकनीक के उपयोग और मंगला पाइपलाइन का घर होने के कारण महत्वपूर्ण नवाचार देखा है। मंगला पाइपलाइन अब सौर ऊर्जा का रुख कर रही है और पूरी पाइपलाइन में स्थापित सौर पैनलों से संचालित की जाएगी। प्रसिद्ध पाइपलाइन उद्योग की अग्रणी प्रणालियों का प्रमाण रही है, और सौर ऊर्जा में इसका रूपांतरण तेल और गैस क्षेत्र के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है।
तेल उत्पादन में प्रासंगिक बना रहेगा क्षेत्र
केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह ने कहा, हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मंगला ऑयल फील्ड ने अपने उत्पादन का 13वां साल पूरा कर लिया है। यह क्षेत्र भारत के घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है और हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र प्रासंगिक बना रहेगा।

Source: Barmer News

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