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सीमा सुरक्षा बल व निशोनबाजी के खेल में पूनमकुमार चौधरी के नाम से कोई अनजान नहीं है, लेकिन उनके गृह जिले बाड़मेर में बहुत कम लोग पूनम व उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं। सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए पूनम अब असिस्टेंट कमांडेंट है। निशानेबाजी के खेल में उन्होंने कुल 88 मेडल जीते हैं, जिसमें 2 मेडल अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। वहीं 86 नेशनल मेडल है। नेशनल लेवल पर जीते गए मेडल में से 17 गोल्ड मेडल है।

 

बाड़मेर जिले के कानोड़ निवासी पूनमकुमार चौधरी के पिता सुखराम चौधरी भारतीय सेना थे। पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए वह 1985 में सीमा सुरक्षा बल में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गए। इससे पहले आठवीं तक की पढ़ाई गांव में की। उसके बाद ग्यारहवीं तक का अध्ययन जोधपुर में किया। नवीं कक्षा में ही वह एनसीसी में भर्ती हो गए। छात्र जीवन में एनसीसी में रहते हुए निशानेबाजी की शुरूआत की। एनसीसी कैडेट के तौर पर पूनम ने निशानेबाजी का जो हुनर सीखा, वह बीएसएफ कांस्टेबल की ट्रेनिंग के दौरान ही खुलकर सामने आया। बीएसएफ ने उनकी निशोनबाजी की प्रतिभा को तराशा और पूनम ने बीएसएफ सहित पूरे देश को गौरवान्वित किया।

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महाराणा प्रताप व विक्रम अवार्ड
पूनमकुमार चौधरी की खेल उपलब्धियों के लिए राजस्थान सरकार ने वर्ष 2018 में राज्य के सबसे बड़े खेल पुरस्कार महाराणा प्रताप अवार्ड से सम्मानित किया। वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के सबसे बड़े खेल अवार्ड विक्रम अवार्ड से 2003 में सम्मानित किया। सीमा सुरक्षा बल ने डीजी व आईजी स्तर पर उन्हें कई बार पुरस्कृत किया। चौधरी वर्ष 2010 से 2014 तक सीसुब राजस्थान फंटियर टीम के मैनेजर व कोच रहे। वर्तमान में गुजरात फंटियर टीम के कोच व मैनेजर है।

 

परिवार में सभी निशानेबाज
पूनमकुमार की पत्नी लक्ष्मीदेवी दस मीटर पिस्टल स्पर्धा में मध्यप्रदेश स्टेट लेवल गोल्ड मेडल जीत चुकी है। पुत्र रंजीत चौधरी, उदय चौधरी व पुत्री कविता चौधरी अपने-अपने आयु वर्ग में क्रमश: दस मीटर, पच्चीस मीटर व एयर पिस्टल में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुके हैं। असिस्टेंट कमाडेंट चौधरी कहते हैं कि हमें अपने बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार स्पोर्ट्स में आगे बढऩे का अवसर देना चाहिए ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके।

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1990 में जीता पहला मेडल
पांच वर्ष की निरंतर मेहनत के बाद पूनमकुमार ने वर्ष 1990 में राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार मेडल जीता। यह रजत पदक था। अगले वर्ष 1991 में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। राष्ट्रीय स्तर पर वह प्रतिवर्ष अपनी सफलता का परचम लहराते रहे और मेडल जीतते रहे।

 

कॉमनवेल्थ शूटिंग में गोल्ड
पूनमकुमार के जीवन में पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल वर्ष 2001 में इंग्लैंड के बिस्ले में आयोजित चौथी कॉमनवेल्थ शूटिंग प्रतियोगिता में आया। यहां पर उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। शूटिंग में उनका इवेंट रेपिड फायर पिस्टल रहा। दस, पच्चीस व पचास मीटर तीनों स्पर्धाओं में उन्होंने नेशनल व इंटरनेशनल मेडल अपने नाम किए।

Source: Barmer News

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