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जोधपुर।
किसी भी पुलिस स्टेशन (Police station) का ख्याल आते ही सबसे पहले थाने का हवालात यानि लॉकअप दिमाग में आता है। जो किसी भी पुलिस स्टेशन का अभिन्न अंग होता है, लेकिन पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर के पुलिस स्टेशन करवड़ में हवालात तक (Police station Karwar) (Without lockup police station( नहीं है। किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद उसे सात किमी दूर मण्डोर थाने की हवालात में बंद रखा जा रहा है।
सिर्फ एक हॉल व छोटे-छोटे दो कमरे
नागौर हाइवे िस्थत पुलिस स्टेशन करवड़ पंचायत के किराए के भवन में संचालित हो रहा है, जहां एक बड़ा हॉल है। साथ ही दो छोटे-छोटे कमरे भी हैं। थाने में सबसे जरूरी एक भी हवालात नहीं है।
रात मण्डोर थाने की हवालात में, सुबह वापस थाने
पुलिस का कहना है कि किसी भी आरोपी को गिरफ्तार करने पर उसे रखने की चिंता सताने लगती है। देर शाम या अंधेरा होते-होते उसे सरकारी जीप से सात किमी दूर पुलिस स्टेशन मण्डोर की हवालता में बंद करने ले जाया जाता है। दूसरे दिन सुबह होने पर उसे दुबारा करवड़ थाने लाया जाता है।
नौ साल पहले शुरू हुआ था करवड़ थाना
एक जनवरी 2011 में जोधपुर शहर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई थी। दो साल बाद करवड़ थाने की स्वीकृति मिली थी। सरकारी जमीन न मिलने के अभाव में पंचायत समिति के भवन को किराए पर लेकर थाने की शुरूआत की गई थी। नौ साल बाद भी थाना उसी कमरे में चल रहा है।
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हवालात नहीं है, जमीन मांगी गई है—
थाने के लिए जेडीए से जमीन की मांग की गई है। मुख्य हाइवे पर एक जगह जेडीए के पास है, लेकिन मौके पर जमीन जेडीए के पास नहीं है। थाने में हवालात न होने से गिरफ्तार आरोपी को मण्डोर थाने की हवालात में बंद रखना पड़ता है।
कैलाशदान, थानाधिकारी, पुलिस स्टेशन करवड़, जोधपुर।

Source: Jodhpur

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