जोधपुर. गायों में लगातार फैल रही लंपी महामारी से प्रभावित दुग्ध उत्पादकों के बाद अब जोधपुर में चाय की मनुहार पर भी असर छाने लगा है। जोधपुर की प्रमुख चाय की थडि़यों में कई जगहों पर चाय की बिक्री में 15 से 20 प्रतिशत तक गिरावट आई है। हालांकि चाय की थडि़यों का संचालकों का कहना है कि गाय के दूध और चाय में बड़ा बुनियादी अंतर है। रातानाडा भाटी सर्किल के टी स्टाल संचालक राहुल के अनुसार बिक्री प्रभावित जरूर हुई लेकिन जब उबला हुआ दूध पुन: चाय बनाए जाने के दौरान फिर से गर्म होने पर भ्रम की कोई गुजाइंश बाकी नहीं रहनी चाहिए। केन्द्रीय कारागृह रोड पर टी स्टॉल के संचालक रवि के अनुसार उनके यहां चाय के लिए शुद्धता की कसौटी पर खरे पैकबंद दूध का ही इस्तेमाल करते है । जालोरीगेट चौराहे पर टी स्टाल के पप्पू के अनुसार चाय की ग्राहकी में फर्क नहीं आने का कारण हमारे यहां दिन भर उबलता हुआ दूध ही चाय के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
दूध को लेकर आशंका संभव नहीं
पुरी तिराहे पर प्रमुख दूध विक्रेता ने बताया कि अव्वल तो लंपी से महामारी से ग्रसित गाय दूध ही देने में ही असक्षम होती है। हालांकि हमारे यहां से जो ग्राहकों को दूध उपलब्ध कराया जाता है वह पहले से कढ़ाह में लंबे समय तक उबला और रढ़ा हुआ ही होता है।
दूध गर्म होने के बाद इच्छानुसार करे इस्तेमाल
दूध को पूरी तरह उबालने के बाद उसमें कोई वायरस नहीं होता है। इसे वैज्ञानिकों ने भी प्रूव किया है। दूध उबालने के बाद उसका दही के रूप में सेवन, चाय, कॉफी के लिए बेझिझक होकर उपयोग किया जा सकता है। डॉ. संजय सिंघवी, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग जोधपुर
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