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बाड़मेर. क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों में धोखाधड़ी सामने आने पर भी लगाम कसने को लेकर जिम्मेदार अनजान ही बने रहे। हाईकोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका पर सुनवाई कर हाईकोर्ट ने वर्ष-2014 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के कारोबार पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कलक्टर, पुलिस अधीक्षक व रजिस्ट्रार को पांबद किया था। उसके बाद बाड़मेर में तीन साल पहले मारवाड़ क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी बंद हो गई थी। सोसायटी के खिलाफ पुलिस में एक मामला भी दर्ज करवाया गया था। लेकिन पुलिस कार्यवाही महज खानापूर्ति ही रही और जिम्मेदार प्रशासन व रजिस्ट्रार विभाग भी अनजान रहे। अब बाड़मेर की दो बड़ी क्रेडिट कॉ-आपरेटिव पर ताले लटक रहे हैं। निवेशकों को अपने पैसों की चिंता सता रही है।

बाड़मेर में 2008 में क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों का कारोबार शुरू हुआ। बाड़मेर की दो बड़ी क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी ने 12 साल में करोड़ों रुपए एकत्रित कर लिए। भुगतान का समय आया तो प्रबंधक भूमिगत हो गए हैं। प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों के फोन बंद हैं और गायब चल रहे हैं। मामला उजागर होने के बाद जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी आनन-फानन में कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं। बाड़मेर जिले के संजीवनी, नवजीवन व आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में अनुमानित 300 करोड़ रुपए से अधिक की राशि निवेशकों की अटक गई है।

ऐश-मौज की जिंदगी, लग्जरी कार
संजीवनी, नवजीवन व आदर्श क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े कर्मचारी ऐश-मौज की जिंदगी जीते थे। सोसायटी में जिला मार्केटिग अधिकारी लग्जरी कार में घुमते थे और प्रतिमाह करीब 50 हजार वेतन व इंसेटिव अलग से उठाते थे। ऐसी स्थिति में सोसायटियों का खर्च बढ़ गया। अब भुगतान का समय आया तो सब भूमिगत हो गए हैं।

एजेंट बेबस, पीडि़त काट रहे चक्कर
बाड़मेर जिले में तीन सोसायटियों में करीब 5 हजार अभिकर्ता हैं। अभिकर्ताओं ने गांव-गांव, ढ़ाणी-ढाणी पहुंच कर लोगों का ब्याज का लालच दिखाकर पैसा सोसायटी में जमा किया। अब सोसायटी पर ताले लटकने पर एजेंट तो बेबस हो गए हैं। उनको पास कोई जबाव नहीं है और पीडि़त दर-दर भटक रहे हैं।


बाड़मेर में यों शुरूआत हुई
पहले चाय का व्यापार फिर सोसायटी
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव मालिक विक्रमसिंह इन्द्रोई पहले चाय का व्यापार करते थे। उसके बाद 2008 में सोसायटी शुरू की। धीरे-धीरे राजस्थान के अलावा गुजरात सहित अन्य राज्यों में करीब 300 शाखाएं खोलकर कारोबार को बढ़ा दिया। अब करीब 700 करोड़ रुपए की जमाएं संजीवनी में बताई जा रही हैं। छह माह से सोसायटी में लेन-देन ठप है। मालिक विक्रमसिंह भूमिगत है।

पहले माइक्रो क्रेडिट, फिर सोसायटी
नवजीवन मालिक गिरधरसिंह सोसायटी से पहले माइक्रो क्रेडिट का व्यापार करते थे। उसमें घाटा होने के बाद 2009 में सोसायटी की स्थापना की। इन्होंने राजस्थान व गुजरात में करीब 250 शाखाएं खोल लोगों से करीब 500 करोड़ की जमाएं ली। करीब एक साल से लेन-देन ठप है। प्रधान कार्यालय सहित शाखाओं में ताले लटक रहे हैं। खुद एसओजी की गिरफ्त में है।


केस.1 सिणधरी क्षेत्र के बामणी निवासी भरतसिंह ने 2015 में खाता खुलवाया। इसके 70 हजार रुपए क्रेडिट सोसायटी में जमा करवाए। अब भरतसिंह की दोनों किडनियां खराब हो गई। उपचार के लिए पैसे नहीं है। अब क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के चक्कर काट रहा है।
केस. 2 शहर निवासी सुनील व्यास पानी पूरी का ठेला चलाता है। उसने बचत कर आदर्श के्रडिट में एक लाख 10 हजार रुपए जमा करवाए। सोसायटी बंद हो गई है। पीडि़त बेबस होकर पैसों के लिए भटक रहा है। अब लोगों का कर्जा कर बच्ची की शादी की है।
केस. 3 रामेश्वरी पत्नी सुरेश निवासी हरिजन बस्ती ने पुत्री के नाम सोसायटी की बिटिया योजना में 70 हजार रुपए जमा करवाए। 18 साल का झांसा दिया था कि 2 लाख 25 हजार रुपए मिलेंगे।

Source: Barmer News

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