जोधपुर. प्रदेश में Pollution के लगातार भयावह होते हालात और सरकार के इस समस्या पर नाकाफी इंतजामों का परिणाम है कि तीन हजार करोड़ का जुर्माना National Green Tribunal ने लगाया है। चाहे Water Pollution हो या Earth Pollution सभी में हालात खराब है। Jodhpur में कचरा निस्तारण की स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। प्रतिदिन केरू डम्पिंग यार्ड पर सैकड़ों टन कचरा डाला जाता और अनट्रीट सीवरेज पानी भी काफी मात्रा में नदी में बहता है। इस मुद्दे पर पत्रिका की पड़ताल खबर।
जोधपुर शहर के दो नगर निगमों का कचरा एकत्रित होकर केरू डम्पिंग यार्ड जाता है। इस साइट पर पिछले 15 साल में कचरा निस्तारण के जितने भी प्रयोग किए गए, सभी असफल हुए। अब निस्तारण मशीन को दो माह पहले फिर से शुरू किया गया है, लेकिन वह भी शत-प्रतिशत निस्तारण नहीं कर पा रही है। शहर विस्तार के कारण सीवरेज पानी को भी पूरी तरह से निस्तारित नहीं किया जा रहा। बासनी बेंदा का 40 एमएलडी का सीवरेज प्लांट शुरू होने के बाद भी काफी एरिया एसटीपी की रेंज से दूर होगा।
प्रतिदिन 500 टन कचरा
जोधपुर शहर से प्रतिदिन करीब 500 टन कचरा एकत्रित होता है। यह केरू डम्पिंग यार्ड में जाता है। पहले दो बार कचरा निस्तारण फेल रहने के बाद अब नई कंपनी को जिम्मा सौंपा गया है। पहले चरण में यह कंपनी प्रतिदिन एक तिहाई कचरे का निस्तारण करेगी। कुछ दिन पहले ही इसकी शुरुआत हो चुकी है।
सीवरेज भी पूरा निस्तारित नहीं
नगर निगम की ओर से फिलहाल तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। इनमें शहर का शत-प्रतिशत पानी ट्रीट नहीं हो पा रहा। अभी भी 40 एमएलडी का एक प्लांट निर्माणाधीन है। तीन नए सीवरेज प्लांट प्रस्तातिव है। शहर में आबादी क्षेत्र के विस्तार के कारण ही अब भी करीब 60 से 70 एमएलडी पानी बिना ट्रीट किए ही सीधा नदी में प्रवाहित हो रहा है।
उद्योग नहीं लगा पाए जेडएलडी
उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित पानी भी परेशानी का कारण बना हुआ है। अभी 20 एमएलडी क्षमता का प्लांट प्रदूषित अपशिष्ट को ट्रीट करने के लिए बना हुआ है, लेकिन यह जेडएलडी श्रेणी में नहीं होने के कारण प्रदूषण पूरी तरह से नहीं रुक पाया है।
फैक्ट फाइल
– 500 टन कचरा प्रतिदिन एकत्रित हो रहा है।
– 50 प्रतिशत ही कचरा निस्तारित कर पा रहे।
– 3 बार पहले सफल नहीं हुआ यह प्रयोग।
– 60 एमएलडी सीवरेज पानी भी बिना ट्रीट जा रहा।
– 15 एमएलडी औद्योगिक अपशिष्ट भी निकलता है।
इनका कहना…
हमने एक साल पहले एमओयू किया और अब करीब दो माह पहले प्लांट शुरू भी कर दिया है। अब इसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगेंगे।
– वनिता सेठ, महापौर, नगर निगम दक्षिण
Source: Jodhpur