Posted on

खबरदार और असरदार पत्रिकारिता
ब्लर्ब- 28 सितंबर 2021 से 2022 के एक साल के सफर में पत्रिका की पत्रकारिता की धार को और तेज किया। पाठकों की पीड़ा और समस्याओं के साथ खड़ी पत्रिका ने पाठकों की ताकत के बूते खबरों से न केवल खबरदार किया बल्कि असरदार साबित हुई। शासन-प्रशासन को सचेत करते हुए जनता े जुड़े कार्यों को करने को मजबूर किया। मजबूती से हुई पैरवी का असर नजर आया और पाठकों की ताकत जीत गई। बालोतरा जिला, तिलवाड़ा मेला, थार महोत्सव मालाणी एक्सप्रेस सहित दर्जनों मुद्दे आम आदमी की आवाज बने । पाठकों की यही ताकत पत्रकारिता के बूते बदलाव की बयार लाया।
1. मैं थार महोत्सव बोल रहा हूं….
बाड़मेर की कला-संस्कृति-इतिहास और पर्यटन विकास से जुड़े थार महोत्सव 13 साल से बंद था। प्रशासन की हठधर्मिता और अरुचि, राजनीतिक लोगों की दिलचस्पी का अभाव और राज्य सरकार के ध्यान नहीं देने से लोक-कला और साहित्य से जुड़े लोगों सहित आम आदमी की आवाज को अनसुना किया गया। पत्रिका ने इसको मुद्दा बनाकर मंै थार महोत्सव बोल रहा हूं अभियान प्रारंभ किया। पत्रिका की रचनाधर्मी और असरदार पत्रकारिता के साथ आम लोग जुड़े। प्रशासन को थार महोत्सव प्रारंभ करवाना पड़ा और जब पूरे यौवन के साथ थार महोत्सव का आयोजन हुआ तो जिलेभर में यह उत्सव बन गया। पर्यटन महकमे ने इसे अपने कलैण्डर में शामिल किया और 8 लाख रुपए का बजट भी जारी किया गया। जिलेभर में हुए आयोजनों के साथ ही अब इस महोत्सव का निरंतर और हर साल आयोजन हों इसकी कार्ययोजना बनी है। पत्रिका की यह बहुत बड़ी पहल जिले में प र्यटन, कला,संस्कृति और विकास के लिए नया आयाम साबित हुई।
2. तिलवाड़ा मेला रहा चरम पर बंटी चांदी
कोरोना के बाद तिलवाड़ा मेले को प्रारंभ करने की लड़ाई बाद इसके 2022 में व्यवस्थित आयोजन का बीड़ा पत्रिका ने हाथ में लिया। प्रशासन, पशुपालन विभाग, केन्द्रीय मंत्री, राज्य सरकार और राज्य के मंत्रियों को जोडऩे के साथ ही भामाशाहों को प्रेरित किया और भारत प्रसिद्ध तिलवाड़ा मेले के व्यवस्थित आयोजन को लेकर साझा प्रयास प्रारंभ करवाए। केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद कैलाश चौधरी ने दिलचस्पी लेकर चार केन्द्रीय मंत्रियों को बुलाया। 100 स्टाल की विशाल प्रदर्शनी लगाई गई। भामाशाह पृथ्वीराज कोळू और समंदरसिंह नौसर ने यहां पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए करीब 11 किलोग्राम चांदी विजता पशुपालकों को वितरित कर मेले को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। पशुओं की रिकार्ड बिक्री के साथ ही मेला परवान पर रहा और इस मेले ने एक नई ऊंचाई को छू लिया। पत्रिका की पत्रकारिता का ही कमाल रहा है कि हजारों पशुपालकों और विरासत से जुड़ा यह मेला आधुनिकता के युग में भी जीवंत है।
3. बालोतरा को जिला बनाओ अभियान-
25 दिसंबर 2021…राजस्थान पत्रिका ने 40 साल से मंथर गति से चल रही बालोतरा जिला बनाओ की मांग को सशक्त पैरवी के साथ में महाअभियान के रूप में उठाया और अब तक उठी कमजोर मांग की परतें खोली। पत्रिका ने न केवल मुद्दे को उठाया बल्कि बालोतरा, समदड़ी, कल्याणपुर, मोकलसर, सिवाना, पचपदरा, पाटोदी, सिणधरी सहित पूरे इलाके के लोगों को जोड़ा। गम पंचायत, पंचायत समितियों और विभिन्न संगठनों ने पत्रिका की आवाज में आवाज मिलाकर कहा कि बालोतरा जिला बने। पुरजोर उठ रही मांग के साथ विधायक मदन प्रजापत ने सशक्त पैरवी का बीड़ा थाम तो पक्ष विपक्ष ने भी साथ दिया। विधानसभा के सत्र में बालोतरा जिला बनाने का मुद्दा सबसे आगे था…राज्य सरकार ने घोषणा नहीं की तो विधायक ने जूते पहनना छोड़ दिया। सरकार ने बालोतरा की सशक्त मांग पर ही जिला बनाओ कमेटी का गठन किया है। जन-जन से जुड़े इस मुद्दे के पूरा होने का जनता को इंतजार है।
4. मालाणी रेल अभियान- जिले को मिली लंबी दूरी की रेलें
कोरोनाकाल में जिले की मालाणी रेल को बंद कर दिया गया जो बाड़मेर-जयपुर-दिल्ली तक चल रही थी। पत्रिका ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए रेल की मांग से जनता को जोड़ा। मालाणी एक्सप्रेस के बंद होने को लेकर पत्रिका के अभियान का नतीजा रहा कि बाड़ेमर से दिल्ली के लिए समयानुकूल रेल प्रारंभ हुई और इसके अलावा भी लंबी दूरी की रेलों का संचालन प्रारंभ हुआ। बाड़मेर गडरारोड़ के बीच चलने वाली साधारण सवारी गाड़ी का भी एक ही फेरा हो रहा था,पत्रिका ने मुद्दा बनाया तो यहां भी दो फेरे होने लगे है।
5. दो करोड़ से भामाशाह ने बनाया आईसूयू वार्ड
कोरोनाकाल के दौरान आपात मदद का दौरा आया तो पत्रिका ने भामाशाहों को प्रेरित किया। अप्रवासी भारतीय और भामाशाह ने पत्रिका से प्रेरित होते हुए राजकीय अस्पताल में आईसीयू वार्ड की घोषणा की जो इसी साल पूर्ण हुआ और अत्याधुनिक सुविधा से करीब 2 करोड़ से बने इस वार्ड में लोगों को राहत मिल रही है। पृथ्वीराज ने पत्रिका की पे्ररणा से कवास में बाढ़ पीडि़तों की मदद का बड़ा कार्य भी किया है।
6. बॉर्डर टूरिज्म की रखी आधारशिला

पत्रिका के अभियान बॉर्डर को मिले सम्मान में बॉर्डर टूरिज्म को लेकर संभावनाओं को तथ्यात्मक उठाया गया। बीकानेर, श्रीगंगानगर और जैसलमेर में बॉर्डर टूरिज्म को आगे बाड़मेर तक जोडऩे, मुनाबाव के रेल शहीदों को सम्मान देने और बॉर्डर टूरिज्म के लिए मुनाबाव, रेडाणा रण, किराडू, बाखासर का रण और रोहिड़ी के धोरों तक पर्यटन की संभावनाएं तलाशने के पत्रिका के अभियान बाद अब प्रशासन व सेना की ओर से कार्ययोजना बनाई गई है। जैसलमेर में बॉर्डर टूरिज्म के बाद बाड़मेर को भी आगामी समय में जोडऩे का प्रस्ताव लिया गया।
7 जले पर नमक-अग्निपीडि़तों का दर्द
जिले में 2017 से 2021 के बीच में 600 से अधिक परिवारों के घर जल गए। इनको आपदा-प्रबंधन की ओर से मिलने वाली मदद इसलिए नहीं मिली की प टवारी-तहसीलदारों ने ऑन लाइन पोर्टल पर घटनाओं को समय पर दर्ज नहीं किया। 62 लाख से अधिक की राशि अटकी हुई है। गरीब कार्यालयों व सरकारी कार्मिकों के चक्कर काटते रहे लेकिन किसी ने पैरवी नहीं की। पत्रिका ने इस बड़े मामले का न केवल खुलाा किया बल्कि शासन-प्रशासन की आंखें खोल दी। सरकार के सामने इतने सारे मामले एक साथ पहुंचे तो आदेश किया कि यह गलती कैसे हुई? 23 तहसीलदा और 228 पटवारियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई है। 62 लाख रुपए के बकाया के लिए एक-एक प्रकरण की जानकारी ली गई है। 104 परिवारों का अटका भुगतान किया गया है और शेष का कार्य प्रगति पर है। गरीब परिवारों से जुड़े इस बड़े मामले ने सरकारी कार्मिकों लापरवाही की परतें खोलकर रख दी।
8. ब्लैक लिस्टेड हिन्दुओं का खुला रास्ता
पाक विस्थापित परिवार भारत में रहते है और इनके रिश्तेदार पाकिस्तान में। कई परिवार ऐसे है जो जमीन-जायदाद ,रिश्तेदारी और व्यापार की वजह से आज भी दो हिस्सों में बंटे है। परिवार के कुछ सदस्य पाकिस्तान में। 900 हिन्दू सदस्य पाकिस्तान से भारत अपने परिजनों से मिलने आए लेकिन ये 45 दिन की वीजा अवधि से ज्यादा ठहर गए तो भारत सरकार ने इनको ब्लैक लिस्ट कर दिया। पत्रिका ने इस मुद्दे को मानवीय संवेदना के साथ उठाया और सामने लाया कि इन लोगों के परिवार यहां है। भारत सरकार ने अब इन लोगों को वीजा देने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। पत्रिका की पैरवी से इन परिवारों में खुशियां लौटी है।

पत्रिका:पैरवी और पड़ताल
1971 की शौर्यगाथा-जिसने पढ़ा जुड़ गया
आजादी के अमृत महोत्सव पर पत्रिका की विशेष प्रस्तुति 1971 के युद्ध की शौर्यगाथा का विशेष प्रस्तुतिकरण रोंगटे खड़े कर गया। बाड़मेर की जमीन से लड़े गए युद्ध और रेगिस्तान से लिखी ऐतिहासिक जीत की इबारत का जीवंत प्रस्तुतिकरण बाड़मेर के पाठकों का सीना गर्व से चौड़ा कर गया और इस युद्ध स्थल पर ऐतिहासिक वार म्युजियम बनाने और बॉर्डर टूरिज्म की पैरवी जोर पकड़ गई।
रिफाइनरी के कार्य को गति
राज्य सरकार के मेगा प्रोजेक्ट रिफाइनरी के कार्य को लेकर चल रही मंथर गति और काम की प्रगति पर बेबाकी से पत्रिका ने पत्रकारिता करते हुए कार्य को गति देने की दिशा दी। रिफाइनरी के कार्य को लेकर मुख्यमंत्री ने खुद मॉनीटरिंग शुरू की और यहां हर महीने कार्य प्रगति को मुख्यमंत्री के विशेष सलाहकार पहुंचने लगे, जिससे काम त्वरित गति से आगे बढऩे लगा है।
मेरा शहर मेरी जिम्मेदारी
बाड़मेर शहर की समस्याओं पर पत्रिका के अभियान मेरा शहर मेरी जिम्मेदारी का नतीजा रहा कि शहर के तीनों तालाब वैणासर, सोननाडी और कारेली नाडी की एक बार फिर सुध शुरू हुई और यहां विकास का काम होने लगा। शहर के चौराहों को सुधारने, सड़कों के निर्माण, नाले और अन्य कार्य को लेकर जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया। अभी भी शहर में समस्याओं को लेकर लगातार पैरवी की दरकार है।
51 साल बाद शहीद का नामकरण
गिड़ा क्षेत्र के सिसोदिया पाना के शहीद मंगनाराम 1971 के युद्ध में शहीद हुए। उनके नाम से विद्यालय के नामकरण को लेकर पत्रिका की पैरवी और समाचार श्रृंखला से 51 साल बाद विद्यालय का नामकरण शहीद के नाम हुआ।
बायतु में बनेगा शहीद स्मारक स्थल
बायतु में 1971 के युद्ध में शहीद हुए वीरों के नाम से कोई स्मारक न हीं होने का मुद्दा पत्रिका ने उठाते हुए यहां शहीद स्मारक की पैरवी की। जिस पर विधायक हरीश चौधरी ने राजस्व मंत्री रहते हुए जमीन उपलब्ध करवाई। यहां शहीद स्मारक का निर्माण होगा।
लीला की पैरवी शुरू हुई
हापों की ढाणी लीला के दोनों हाथ बचपन में बिजली करंट से कट गए थे। लीला की पैरवी पत्रिका ने की तो लीला को 5.50 लाख रुपए विद्युत निगम और जनसहयोग से मिले। यह राशि लीला ने एक क्रेडिट कॉपरेटिव सोसासटी में जमा कर दी।कॉपरेटिव सोसायटी में यह राशि अटक गई। लीला ने इस पर पांवों से पत्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा। पत्रिका ने मानवीय संवेदना के समाचार को प्राथमिकता दी। लीला की सुनवाई हुई और क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी हुई है।

स्कूल हुआ बारहवीं: पलायन नहीं करेंगे विद्यार्थी
तिलवाड़ा में संस्कृत स्कूल का क्रमोन्नयन का मामला लंबे समय से अटका था। पत्रिका ने समंदर में भी रह गई मीन प्यासी शीर्षक से बजट घोषणाओं बाद समाचार प्रकाशित किया और संस्कृत स्कूल की बात अनसुनी होने से विद्यार्थियों के पलायन का मुद्दा सामने लाया। विशेष स्वीकृति कर विद्यालय को क्रमोन्नत किया गया।
परिवार को मिला बेटा
बाड़मेर के रेलवे स्टेशन पर एक किशोर भूखा सो रहा था और उसकी हालत खराब थी। पत्रिका ने बालक के मानवीय संवेदना के समाचार को प्राथमिकता दी और पता किया कि यह बांसवाड़ा का है। परिवार तक पत्रिका ने जानकारी पहुंचाई तो खोया हुआ बेटा परिवार को मिला।

Source: Barmer News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *