मूलभूत सुविधाओं से लेकर खातेदारी के अधिकारों से वंचित होने की पीड़ा
लंबा इंतजार :कमेटी आई न सर्वे हुआ डीएनपी के गांवों का दर्द जस का तस
बाड़मेर . राष्ट्रीय मरू उद्यान (डेजर्ट नेशनल पार्क/डीएनपी) में आबाद बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के 73 गांवों के हजारों परिवारों के दर्द की दवा दूर की कौड़ी बनी हुई है। करीब एक माह पहले केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने वादा किया था कि धरातल पर एक कमेटी भेजकर सर्वे करवाया जाएगा और निश्चित भू-भाग में डीएनपी का दायरा तय शेष क्षेत्र को डीएनपी से मुक्त कर दिया जाएगा। लेकिन यह वादा धरातल पर नहीं उतर पाया। जिसके चलते डीएनपी के गांवों का दर्द वहीं का वहीं ठहरा हुआ है। हालत यह है कि आजादी के अमृत महोत्सव में भी इन गांवों में रहने वालों को सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित होने के साथ-साथ मनरेगा जैसी रोजगार योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है।
क्या है मरू उद्यान
केन्द्र सरकार ने वर्ष 1980 में बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में करीब 3161 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय मरू उद्यान घोषित किया। मरूस्थल के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के उद्देश्य से उद्यान की घोषणा की गई, जिसमें मरूस्थलीय वन्य जीवों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 20 के तहत संरक्षित करने का प्रावधान है।
भारतमाला अटक गई
राष्ट्रीय मरू उद्यान के प्रावधान कितने सख्त है, इसका अनुमान भारतमाला प्रोजेक्ट के हाल से लगाया जा सकता है। डीएनपी में करीब 146 किलोमीटर तक रोड बनाने के लिए 2018 में अनुमति मांगी गई, जो अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में सामरिक महत्व की भारतमाला लटकी हुई है।
किसान नाम के मालिक
मरू उद्यान के किसान अपनी जमीन के नाम के ही मालिक रह गए हैं। किसान अपनी जमीन पर न तो केसीसी ले सकते हैं, न ही ऋण लेने के हकदार है। जमीन में कृषि कुंआ भी नहीं खुदवा सकते। यदि कोई खुदवा दे तो उसे बिजली कनेक्शन नहीं मिलता। सरकारी योजनाओं के तहत भी उन्हें किसी भी प्रकार का लाभ देय नहीं है। ऐसे में वे नाममात्र के खातेदार रह गए हैं।
यह नहीं कर सकते
पानी के लिए पाइप लाइन नहीं बिछा सकते
आबादी भूमि का विस्तार नहीं कर सकते
सड़क निमार्ण अथवा सड़क की मरम्मत नहीं कर सकते
जमीन की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकते
भरोसा दिलाया था
डीएनपी के मामले में एक माह पहले केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव को हालात से अवगत करवाया था, तब उन्होंने भरोसा दिलाया था कि एक निश्चित भू-भाग को चिन्हित कर शेष भू-भाग को डीएनपी से मुक्त किया जाएगा।
– स्वरूपसिंह खारा, बाड़मेर
Source: Barmer News