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बाबू सिंह भाटी,रामसर पत्रिका. बाड़मेर जिले के रामसर कस्बे की ऊंची पहाड़ी पर बना जगदंबा का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है । जहां के राठौड़ यहां प्रतिदिन पूजा अर्चना करते हैं। बड़े माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थदशी को रात्रि जागरण का आयोजन करवाया जाता है । यहां मंदिर 100 साल पुराना बना हुआ है जो सबसे ऊंची पहाड़ी पर है । इसकी तलहटी में पूरा रामसर कस्बा बसा है।

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करीब 100 साल पहले सेतराऊ छोड़कर रामसर आए ग्रामीण बेरियों में पानी व्यवस्था होने पर यही बस गए। एक ऊंची पहाड़ी पर अपना आवास बनाया। कहते हैं उस घर पर बड़े-बड़े पत्थर गिरते रहते थे। परिवार के लोग देखते थे, लेकिन गनीमत यह रही थी कि पत्थर किसी के भी लगते नहीं थे। इन पत्थरों के रहस्य के बारे मुल सिंह ने एक तांत्रिक को पूछा गया तो यहां एक जगदंबा का मंदिर बनाने की सलाह दी थी। उसके बाद मूल सिंह ने मंदिर बनवाया। यहां के हेम सिंह बताते है कि मंदिर बनाने से पहले रामसर की पहचान बहुत ही कम थी , लेकिन उनके बाद जगदंबा के आशीर्वाद से इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। जोधपुर के दरबार ने मूल सिंह को खोड़ा (जेलनुमा जगह) बनाने का अधिकार दिया था।
श्याम सिंह बताते हैं कि रामसर तहसील के एक बहुत बड़े क्षेत्र में चोरी जैसे अपराध करने वाले लोगों को जेल भी दिया करते थे। उसकी आज भी हथकड़ियां इन्हीं के परिवार के सदस्यों के पास मौजूद है ।इनके घर के पास एक नीम का पेड़ था ।उस पेड़ के नीचे अपराध करने वाले लोगों को हथकड़ियां लगा बांधकर रखा जाता था ।

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आज भी जगदंबा का मंदिर चर्चित हैं। कस्बे के ग्रामीण जगदंबा मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। अभी नवरात्र में भी विशेष पूजा पूजा अर्चना की जा रही है। यहां मंदिर के चारों ओर एक परकोटा बना हुआ है, जिसके अंदर ग्रामीण रात्रि जागरण के दौरान आसानी से बैठ सकते हैं । यहां पानी का टांका भी बना हुआ है।

Source: Barmer News

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