बारहवीं में हो गए थे फेल, मेहनत के बल पर बने असिस्टेंट प्रोफेसर
आसूसिंह
बाड़मेर. जिले के खारा गांव के रहने वाले आसूसिंह ने असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी साहित्य के परिणाम में राज्य में द्वितीय स्थान के साथ सफलता हासिल की है। आसूसिंह की सफलता की कहानी उन प्रतियोगियों के लिए प्रेरणादायक है, जिनकी स्कूल व कॉलेज की मार्कशीट में कामचलाऊ अंक है।
जिसके चलते उन्होंने स्वयं ही तय कर लिया हो कि उन्हें बड़े सपने देखने की जरूरत नहीं है। आसूसिंह की शैक्षिक यात्रा कामचलाऊ अंकों वाले आशार्थियों के सपनों को ऊंची उड़ान के लिए प्रेरित करती है।
तीनों विषयों में फेल
आसूसिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2003 में 56.16 प्रतिशत के साथ दसवीं उत्तीर्ण की और अपनी इच्छा से साइंस बायोलॉजी लिया। जिसका नतीजा यह रहा कि बारहवीं बोर्ड में बायोलॉजी, फिजिक्स, केमेस्ट्री तीन विषयों में वह फेल हो गए। यहां पर पढ़ाई में सब कुछ खत्म होने जैसा था, लेकिन आसूसिंह ने सरकारी स्कूल से कला वर्ग में बारहवीं की परीक्षा दी और पास हो गए।
पढ़ाई छोड़ने का फैसला
बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद आसूसिंह को लगा कि पढ़ाई करने का फायदा नहीं है। पढ़ाई छोडऩे का फैसला कर वह अपने जीजा के पास मुंबई चला गया। जीजा का वहां स्टील का व्यापार था। महीना भर तक वहां पर काम करने के बाद लगा कि पढ़ाई ही ठीक है। इसलिए वहां से बाड़मेर वापसी हो गई और कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
50.62 त्न से स्नातक
वर्ष 2009 में आसूसिंह ने मात्र 50.66 प्रतिशत अंकों के साथ स्नात्तक उत्तीर्ण किया। पचास प्रतिशत से कम रहने पर पीटीईटी में शामिल होना संभव नहीं था, लेकिन यहां भाग्य ने साथ दिया और बीएड करने का अवसर मिल गया। इससे आगे की राह प्रशस्त हुई।
जयपुर ने बदली राह
स्नातक करने के बाद आसूसिंह जयपुर चला गया। वहां जाने के बाद उसने जमकर मेहनत करने का निश्चय किया। इस दौरान बीएड हो गई। द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2011 की परीक्षा दी और चयन हो गया। इस तरह शिक्षक की नौकरी मिल गई।
चार बार आरएएस मैंस,
जयपुर से शुरू हुआ पढ़ाई का सिलसिला फिर कभी नहीं थमा। वर्ष 2013 की पुलिस उप निरीक्षक भर्ती में आसूसिंह का चयन हुआ, लेकिन उसे ज्वाइन नहीं किया। 2015 में स्कूल लेक्चरर में चयन हुआ। वर्ष 2020 नेट क्लियर की। बीते एक दशक में आसूसिंह ने चार बार आरएएस मैंस का एग्जाम भी दिया, लेकिन साक्षात्कार दूर ही रहा। 2020 में असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी साहित्य की परीक्षा दी और हाल ही में आए रिजल्ट में राज्य में दूसरी रैंक के साथ सफलता प्राप्त की। आसूसिंह के पिता मेघराजसिंह दिव्यांग है, जो सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त है। बड़ा भाई विमंदित है।
Source: Barmer News