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हर दिन दर्जनों वाहनों में लकड़ी की हो रही आवक
कोयला की ऊंची कीमतों पर तेजी से फैल रहा है अवैध लकड़ी का कारोबार

बालोतरा. कोयला की ऊंची कीमतों पर नगर के वस्त्र कारखानों में जलाऊ लकड़ी की मांग अधिक बढ़ गई है। इससे क्षेत्र के गांवों से हर दिन बड़ी मात्रा में बिकने के लिए लकड़ियां पहुंच रही है। लेकिन इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार वन विभाग के अधिकारी मुंह फेरे बैठे हैं। वर्ष व महिने में इक्का-दुक्का कार्रवाई करके इस और कभी झांककर तक नहीं देखते हैं। नगर में अवैध लकड़ी का कारोबार खूब फल फूल रहा है।
कार्यवाही अभाव में कारोबारियों की मौज बन पड़ी है। वे दिन दहाड़े लकडियां ला व इन्हें बेच रहे हैं। पिछले लंबे समय से कोयला की कीमतों में बढ़ोतरी होने से नगर में जलाऊ लकड़ी की मांग कहीं गुणा अधिक बढ़ गई है। यूं समझिए की अधिकांश कारोबारी कोयला की जगह लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं। कारखानों में कपड़ा तैयार करने को लेकर बॉयलर में कोयले की जरूरत रहती है। महंगे कोयले पर उद्यमी अब इसके स्थान पर लकड़ी का उपयोग कर रहे हैं।
लकड़ी का उपयोग
नगर में बिकने के लिए करीब 3-4 अलग-अलग क्वालिटी का कोयला आता है। अनुमानित 12 से 15 हजार प्रतिटन क्वालिटी के अनुसार इसकी कीमत है। जबकि नगर में 500 से 550 प्रति क्विंटल आसानी से जलाऊ लकड़ी मिलती है। इस भाव से इसकी एक टन की कीमत करीब 5 से 6 हजार रुपए होती है। औसत क्वालिटी का 12 हजार प्रति टन कीमत से बिकने वाले कोयले से लकड़ी बहुत अधिक सस्ती पड़ती है। अधिकांश उद्यमी कारखानों में लकड़ी का उपयोग करते हैं। देर रात बाद ट्रक , जीप ट्रोला, ट्रैक्टर ट्रॉली, ऊंट गाड़ी से लकड़ी बिकने के लिए शहर में पहुंचती है। सुबह 9 बजे तक इनकी आवक जारी रहती है।
दर्जनों गाड़ियां पहुंच रही
सड़क किनारे खड़े इन वाहनों पर उद्यमी कीमत को लेकर मोलभाव करते हैं। कीमत तय होने पर गाड़ियां खाली करते हैं। मांग अधिक रहने पर आसपास के गांवों व क्षेत्र से हर दिन लकड़ियों से भरी दर्जनों गाड़ियां पहुंच रही है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। पूरे वर्ष में कागजी खानापूर्ति को लेकर इनी-गुनी ही कार्यवाही करते हैं। इससे अवैध कारोबारियों की मौज बन पड़ी है। बालोतरा में अवैध लकड़ी का कारोबार बहुत तेजी से फैला है।
अवैध लकड़ी के खिलाफ कार्यवाही की जाती है। रोकथाम को गश्त बढ़ाएंगे। संजय भादू, उपवन संरक्षक बाड़मेर

Source: Barmer News

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