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बालोतरा। पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की आवक से पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, पाली, बालोतरा, जसोल वस्त्र उद्योग में अच्छी गुणवत्ता की पोपलिन तैयार नहीं होने, लागत अधिक आने, कमजोर बिक्री से त्यौहारी सीजन में उद्यमियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। महंगे कॉटन यार्न पर मील व लूम मालिकों के मिश्रित ग्रे तैयार करने से उद्यमी राहत को तरस गए हैं।
पोपलीन वस्त्र उद्योग के नाम से देशभर में प्रसिद्ध बालोतरा वस्त्र उद्योग कि पिछले लंबे समय से हालत अच्छी नहीं है। ग्रे के भावों में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ कोयजला, कलर, केमिकल, कास्टिक, पैकिंग आदि जरूरी सामान महंगे व इनके िस्थर नहीं होने से उद्यमी परेशान हैं। कॉटन ग्रे के भाव में रिकॉर्ड बढ़ोतरी पर करीब 6 से 7 माह पहले करीब सात से आठ प्रतिशत पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की सप्लाई होती थी। इस पर उद्यमियों ने जैसे- तैसे माल तैयार किया।
यह है मुख्य समस्या

अब करीब 60 प्रतिशत पॉलिस्टर युक्त कॉटन ग्रे की आवक शुरू होने से इनकी दिक्कतें अधिक बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार शत प्रतिशत कॉटन ग्रे की सप्लाई होने से उच्च गुणवत्ता की पोपलीन तैयार होती थी। अब अधिक पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की सप्लाई होने से इस क्वालिटी की पोपलीन तैयार नहीं हो रही है। इससे कपड़ा तैयार करने पर ग्रे में पॉलिस्टर की मात्रा अधिक होने से वह कलर नहीं पकड़ता है। इससे तैयार कपड़े में लाइन, पटे नुमा धारियां दिखाई देती है। इस पर कारखाना मालिकों को कॉटन डाईंग किए कपड़े पर दोबारा से सिंथेटिक डाइंग करनी पड़ती है। दो बार डाईंग करने से तैयार कपड़े की लागत बढ़ जाती है। इसके बावजूद कपड़ा सेकंड क्वालिटी की तरह तैयार होता है।
इसलिए नहीं खरीद रहे ग्राहक

ग्राहक इसे आसानी से नहीं खरीदते हैं। इससे बाहर की मण्डियों में बिकवाली प्रभावित हो रही है। उद्यमियों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जानकारी के अनुसार कॉटन ग्रे अधिक महंगा होने पर मील मालिक इसमें पॉलिस्टर यार्न मिलाकर धागा तैयार करते हैं। इस धागे से लूम मालिक कपड़ा तैयार करते हैं। इससे की लागत कम आने के साथ उन्हें पर्याप्त मुनाफा मिल सके।
एक पखवाड़े से ग्रे गांठाें की आवक बंद

इचलकरंजी, भिवंडी, मालेगांव की मील,लूम में ग्रे कपड़ा तैयार होकर जोधपुर, पाली, बालोतरा, जसोल पहुंचता है। यहां धुपाई, रंगाई-छपाई के बाद कपड़ा तैयार होता है। अकेले बालोतरा मेंं हर दिन ग्रे की हजारों गांठों की आवक होती है। जोधपुर, पाली, जसोल में लाखों ग्रे गांठों की आवक होती है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से अधिक पॉलिस्टर युक्त कॉटन ग्रे तैयार होने पर पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय से बालोतरा के उद्यमी माल नहीं खरीद रहे हैं। पुराने स्टॉक के अनुसार ही माल तैयार कर रहे हैं। दीपावली पर्व को लेकर पूरे देश में तैयार कपड़े की मांग अधिक है। लेकिन अच्छी क्वालिटी के ग्रे की आवक नहीं होने व इससे अच्छी गुणवता की पोपलीन तैयार नहीं होने से उद्यमियों की दिक्कतें अधिक बढ़ गई है।
परेशानियों का सामना
पिछले कुछ माह से अधिक पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की आवक से कपड़ा तैयार करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दो बार डाईंग करने से कपड़े की लागत अधिक बढ़ती है। इसके बावजूद सैकेण्ड क्वालिटी जैसा कपड़ा तैयार होता है। इससे बिक्री अधिक प्रभावित हो रही है। शीघ्र ही समाधान नहीं किया गया, तब उद्योग, उद्यमियों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
-दिनेश दिग्गा
कपड़ा तैयार करने में अधिक मेहनत
पहले शत प्रतिशत कॉटन से तैयार ग्रे की आवक होती थी। इससे कपड़ा उच्च क्वालिटी का तैयार होता। पूरे देश में बालोतरा पोपलीन की जबरदस्त मांग रहती। लेकिन अधिक पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की आवक से उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। कपड़ा तैयार करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। क्वालिटी अच्छी नहीं होने से बालोतरा की पोपलीन की साख भी प्रभावित हो रही है।
प्रवीण महाजन, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती बालोतरा
उद्यमी ग्रे की खरीद नहीं कर रहे
अधिक पॉलिस्टर मिश्रित कॉटन ग्रे की आवक से उद्यमी ग्रे की खरीद नहीं कर रहे हैं। पिछले एक पखवाड़ा से अधिक समय से उद्यमी ग्रे नहीं खरीद रहे हैं। पुराना स्टाॅक से ही कपड़ा तैयार कर रहे हैं। शीघ्र ही कम लागत पर शत प्रतिशत कॉटन से तैयार ग्रे तैयार नहीं होने पर उद्योग प्रभावित होगा।
रमेश सिंघवी ग्रे कारोबारी

Source: Barmer News

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