जोधपुर।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) (एसीबी) ने राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड (Rajasthan khadi gramodhyog board) के कनिष्ठ लिपिक और एक मध्यस्थ के खिलाफ शनिवार को रिश्वत मांगने की एफआइआर दर्ज की। दोनों को रंगे हाथों पकड़ने की कार्रवाई असफल हो गई थी, लेकिन सत्यापन में रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर ब्यूरो के जयपुर मुख्यालय में मामला दर्ज किया गया। (ACB registered a FIR against LDC for deemand of bribe)
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दुर्गसिंह राजपुरोहित ने बताया कि खींवसर में (नारवा) खुर्द निवासी विजयसिंह पुत्र भंवरसिंह की ओर से पेश शिकायत व सत्यापन के आधार पर मण्डोर रोड पर ठाकुर वीरेन्द्र नगर निवासी राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के कनिष्ठ लिपिक अश्विनी कुमार पुत्र महेश कुमार गुप्ता और बतौर मध्यस्थ मण्डलनाथ निवासी महेन्द्र पुत्र भोमाराम के खिलाफ रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है। आरोपी एलडीसी जिला उद्योग केन्द्र में काम कर रहा है।
यह है आरोप
नारवा खुर्द निवासी विजयसिंह की मण्डलनाथ में बहन के नाम गुरुदेव मसाला उद्योग नामक फर्म है। जिसे शुरू करने के लिए जिला उद्योग केन्द्र जोधपुर में एमएसएमई के तहत 25 लाख रुपए ऋण के लिए आवेदन किया था। 15,48,200 रुपए खाते में व 8.75 लाख रुपए सीसी लिमिट मिली। महिला के नाम फर्म होने से लोन पर 35 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी दिलाने के बदले कनिष्ठ लिपिक अश्विनी ने मध्यस्थ महेन्द्रसिंह के मार्फत बतौर कमीशन दो लाख रुपए मांगे थे। डेढ़ लाख रुपए उससे ले लिए गए। शेष 50 हजार रुपए मांगने का दबाव डाला जा रहा था।परिवादी व रिश्तेदार की एक-एक पत्रावली का लोन पास करने की एवज में 50 हजार रुपए भी मांगे गए।
दो अन्य पत्रावलियों के बदले मांगे थे 50 हजार
परिवादी ने 13 जून 2022 को एसीबी में दोनों के खिलाफ लिखित शिकायत दी थी। सत्यापन कराने के दौरान लिपिक ने मध्यस्थ से मिलने को कहा था। मण्डलनाथ में महेन्द्रसिंह की दुकान पर सत्यापन कराया गया था। जिसमें उसने अश्विनी के लिए 2 लाख रुपए मांगने व पहले से डेढ़ लाख रुपए लेने और शेष 50 हजार रुपए मांगने की पुष्टि हुई थी। गत 13 जुलाई को लिपिक अश्विनी मण्डलनाथ चौराहे के पास महेन्द्र की दुकान पर आया, जहां परिवादी को रिश्वत देने भेजा गया। इस दौरान लिपिक के उसकी और रिश्तेदार की लोन पत्रावली के बदले 50 हजार रुपए मांगने की पुष्टि हुई थी। ब्यूरो ने रिश्वत देने के लिए परिवादी को बारी-बारी से दोनों के पास भेजा, लेकिन संभवत: ब्यूरो कार्रवाई का संदेह होने से लिपिक ने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया था। रिश्वत मांगने की जांच रिपोर्ट जयपुर मुख्यालय भेजी गई, जहां एफआइआर दर्ज की गई।
Source: Jodhpur