हां, मैं वहीं दीपक हूं ।
जो आपके लिए जलता रहा ।।
हारना मेरी फितरत में,
नही था ,
रात भर अंधेरों से ,
मैं अकेला लड़ता रहा ।
हां, मैं वहीं दीपक हूं ।
जो आपके लिए जलता रहा ।।
सो सके तसल्ली से,
सारा जमाना ,
हौंसले और बहादूरी से,
मैं अकेला जलता रहा ।।
हां, मैं वहीं दीपक हूं ।
जो आपके लिए जलता रहा ।।
निष्ठुर हवाओं के ,
बेरहम थपेड़ों से ,
कर-कर संघर्ष ,
मैं अकेला चलता रहा ।
मिलेंगें सुबह नये-नये ,
पुरस्कार मुझे ,
सो रात-रात भर
नये-नये ख्वाब बुनता रहा ।।
हां, मैं वहीं दीपक हूं ।
जो आपके लिए जलता रहा ।।
जिसे आप फेंक रहे है,
कूड़े के ढ़ेर पर ,
जो आपकी खातिर ,
खिलता मचलता रहा ।
शायद यही थी किस्मत,
यही ईनाम भी ,
हर बार हर दीपक को ,
अन्त यही मिलता रहा ।।
हां, मैं वहीं दीपक हूं ।
जो आपके लिए जल ता रहा ।।
Source: Barmer News