रतन दवे
बाड़मेर पत्रिका.
आपको शायद यह अनुमान ही नहीं हों कि आपकी खूबसूरत इमारतों और घरों में लगने वाले पत्थरों को तराशने और उन पत्थरों को तोड़कर मजदूरी करने वाले मजदूरों की जिंदगी का एक स्याह सच यह है कि रोज कण-कण पत्थर की धूल, चूरा और कण उनके फेंफड़ों में ऐसे जम जाते है कि फेंफड़े छलनी-छलनी कर रहे है। रफ्ता-रफ्ता सिलिकोसिस की गिरफ्त में आ रहे इन मजदूरों की जिंदगी का स्याह सच केवल मौत रहती है। इन मजदूरों की मदद को सरकार ने सिलिकोसिस सहायता तत्काल उपलब्ध करवाने का प्रावधान तो कर रखा है लेकिन सरकारी कार्मिकों ने इसको लंबित करने की फेहरिस्त लंबी कर रखी है। प्रदेश में 1358 सिलिकोसिस पीडि़त जीवित रहते हुए मिलने वाली 3 लाख की मदद को तरस रहे है और मौत के बाद भी 186 को सहायता राशि का भुगतान नहीं हुआ है। कागजों की खानापूर्ति भले कुछ भी कहती हों सच तो यह है कि 1358 मजदूर भुगत रहे ैैहै और 186 के परिवार मदद को तरस रहे है। जीवनभर खुद्दारी की खाने के लिए मेहनत मजदूरी करने वाले इन श्रमिकों को इस बीमारी ने करूणा,दया और सहानुभूति का पात्र बना दिया है और सरकारी अफसर पात्रता के प्रमाण पत्रों में मीनमेख निकालकर बीमार मजदूरों की परीक्षा ले रहे है।
क्या मिलती है सहायता
पीडि़त- तीन लाख पीडि़त होने पर
– पालनहार योजना से 1500 रुपए प्रतिमाह
– बच्चों को 1000 रुपए प्रतिमाह
मृत्यु पर-2 लाख रुपए आश्रित को
बजट की कमी नहीं
माइन्स सेस के माध्यम से बजट मिल रहा है। जिसमें प्रावधान है कि सिलिकोसिस पीडि़त परिवारों के कल्याण को तुरंत मदद की जाए।
जिला -जीवित-मृत-योग
अजमेर-2-3-5
अलवर-1-0-1
बांसवाड़ा-0-0-0
बारां-0-0-0
बाड़मेर-17-03-20
भरतपुर-56-09-65
भीलवाड़ा-12-01-13
बीकानेर-3-0-03
बूंदी-04-01-05
चित्तौडग़ढ़-04-01-05
चुरू-0-0-0
दौसा-42-09-51
धोलपुर-117-0-117
डूंगरपुर-2-0-02
हनुमानगढ़-0-0-0
जयपुर-08-02-10
जैसलमेर-01-01-02
जालौर-0-1-1
झालावाड़-1-1-02
झुंझुनू-0-0-0
जोधपुर-850-15-865
करौली-130-58-188
कोटा-0-02-0
नागौर-06-0-06
पाली-19-47-66
प्रतापगढ़-0-0-0
राजसमंद-0-0-0
सवाई माधोपुर-2-1-3
सीकर-0-1-1
सिरोही-53-26-79
श्रीगंगानगर-0-0-0
टोंक-0-1-1
उदयपुर-28-03-31
योग-1358-186-1544
तत्काल मिले सहायता
सिलिकोसिस से ग्रसित परिवारों को तुरंत मदद मिले। अंतरराशि का भुगतान करने का आदेश हो चुका है,इसकी पालना कर भुगतान किया जाए। सिलिकोसिस पीडि़त की मदद तो अब सबसे बड़ी मानवता है।-
लक्ष्मण बडेरा, अध्यक्ष कमठा मजदूर युनियन
Source: Barmer News