बाड़मेर में राजकीय मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद यह उम्मीद जगी कि यहां पर मरीजों को सभी तरह की बीमारियों के इलाज की सुविधा मिलेगी। कॉलेज चार सालों से संचालित हो रहा है, लेकिन मेडिकल कॉलेज संलग्न अस्पताल से अभी भी मरीजों के रैफर का सिलसिला नहीं रुका है। डेंगू तक के उपचार को मरीज तरस जाते है। मरीज के रक्त में प्लेटलेट कम होने पर अस्पताल में कोई उपचार नहीं है। डेंगू पीडि़तों को रैफर किया जा रहा है।
बरसात के बाद बाड़मेर में डेंगू कहर बना हुआ है। रोजाना 15-20 पॉजिटिव केस मिल रहे है। अब तक करीब 650 मरीज डेंगू के मिल चुके है। डेंगू के कारण प्लेटलेट कम हो जाती है। जो मरीज के जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है। लेकिन बाड़मेर के संलग्न चिकित्सालय समूह में अलग से प्लेटलेट की सुविधा नहीं है।
हायर सेंटर पहुंचने से पहले ही टूट रहा दम
बाड़मेर में ऐसे कुछ केस भी सामने आए हैं, जिनमें डेंगू पीडि़त की प्लेटलेट कम होने पर हायर सेंटर रैफर के दौरान रास्ते में दम टूट गया। जबकि समय पर उसे प्लेटलेट मिलने पर जीवन को बचाया जा सकता था। बाड़मेर से जोधपुर या डीसा ले जाते समय करीब 3-4 घंटे का समय लगना डेंगू पीडि़त की जान पर भारी पड़ रहा है।
ब्लड सेपरेशन यूनिट का सिविल वर्क पूरा
मेडिकल कॉलेज संलग्न चिकित्सालय में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट का काम चल रहा है। यहां पर 7 कक्षों में यूनिट स्थापित होगी। इसके लिए अस्पताल के नए परिसर की प्रथम मंजिल पर सिविल वर्क पूरा हो चुका है। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि दिसम्बर-2022 तक सेपरेशन यूनिट शुरू कर दी जाएगी। सूत्र बताते हैं कि मशीन आ भी जाएगी तो भी यहां पर यूनिट को शुरू करने में अभी एक साल और लग जाएगा। यूनिट का लाइसेंस और अन्य प्रक्रियाएं काफी जटिल है, इसके कारण समय काफी लगेगा।
सेपरेशन यूनिट शुरू होने से ये होंगे फायदे
-यूनिट शुरू होने पर ब्लड से रेड सेल, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा अलग होने पर खून की वैधता एक सप्ताह बढ़ जाएगी। खून को 35 दिन की जगह 42 दिन तक स्टोर किया जा सकेगा। वहीं प्लाज्मा चार साल तक स्टोर किया जा सकेगा।
-एक यूनिट खून तीन मरीजों के काम आ सकेगा। अलग-अलग जरूरत के अनुसार आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा मरीजों को चढ़ाया जा सकेगा। ऐेसे में तीन मरीजों को जीवन मिल पाएगा।
-मरीज में खून की कमी होने पर रेड सेल, डेंगू या अत्यधिक ब्लीडिंग होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। वहीं लीवर व आग में जलने वाले मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत होती है। फिर रक्त की कमी नहीं होगी। एक यूनिट तीन बीमारों के काम आ जाएगा।
पीएमओ व राजकीय मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. बीएल मंसूरिया से बातचीत
सवाल: ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट निर्माण का काम कितना पूरा हुआ है ?
जवाब: सिविल वर्क पूरा कर लिया गया है। केवल एसी लगाने बाकी है।
सवाल: यूनिट में मशीनरी कब तक लग जाएगी ?
जवाब: मशीनरी एक सप्ताह में बाड़मेर पहुंच जाएगी। इसके बाद लाइसेंस के लिए आवेदन किया जाएगा।
सवाल : अस्पताल में सेपरेशन यूनिट कब तक शुरू होगी ?
जवाब: उम्मीद है दिसम्बर-2022 में शुरू कर दी जाएगी।
Source: Barmer News