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जोधपुर।
एक महिला ने जन्म के सिर्फ एक दिन बाद ही अपनी बेटी को उम्मेद अस्पताल के पालना गृह में लावारिस छोड़ दिया (Newly born baby left in hospital) था, लेकिन पांच महीने बाद गुरुवार को उस बच्ची को माता-पिता का साया मिल गया। बच्ची को उसकी मूल मां ने नहीं बल्कि महाराष्ट्र के फाइनेंस कारोबारी ने मासूम बच्ची को गोद (Businessman couple adopt a baby who left in hospital after birth) लिया। जिला कलक्टर की अनुमति के बाद दम्पती को बेटी मिली तो दोनों की आंखें भर आईं। मासूम बच्ची भी जोर से किलकारियां मारने लगी।
एक दिन की थी तब पालना गृह में मिली थी नवजात
गत 15 जून को उम्मेद अस्पताल के पालना गृह में मासूम बच्ची को छोड़ दिया गया था। वह सिर्फ एक दिन की थी। महाराष्ट्र के दम्पती ने बेटी गोद लेने के लिए आवेदन कर रखा था। 14 सितम्बर को प्री एडोप्शन फॉस्टर केयर के तहत दम्पती को दो महीने के लिए सौंपा गया था। वो उनके घरवाले बच्ची रखने को सहर्ष राजी हैं। जिला कलक्टर की अनुमति से अब बच्ची को विधिवत दम्पती ने गोद ले लिया।
दो माह का समय दिया, फिर भी मां लेने नहीं आई
नियमों के तहत बच्ची मिलने के बाद उसका स्वास्थ्य परीक्षण होता है। फिर उसे राजकीय शिशु गृह भेजा जाता है। समाचार पत्र के माध्यम से बच्ची की फोटो प्रकाशित कर माता-पिता को बच्ची ले जाने के लिए दो माह का समय दिया जाता है। ताकि उनका मन बदल जाए तो वे बच्ची ले जा सकते हैं। इस मामले में भी ऐसा किया गया था, लेकिन मां का दिल नहीं पसीजा था। दो माह बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक में दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से कार्य शुरू की गई थी। केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधान एजेंसी की वेबसाइट पर बच्ची की फोटो व अन्य जानकारी अपलोड की गई थी।
40 की उम्र में शादी, सात साल से नि:संतान
बच्ची को गोद लेने वाले व्यक्ति महाराष्ट्र के फाइनेंस कम्पनी संचालक हैं। उन्होंने 40 साल की उम्र में वर्ष 2015 में शादी की थी, लेकिन अभी तक उन्हें संतान का सुख नहीं मिला। दम्पती ने चिकित्सकों से हर संभव इलाज भी लिया, लेकिन संतान नहीं हुई। तब एक साल पहले उन्होंने बेटी गोद लेने का निर्णय किया था। इसके लिए केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी की वेबसाइट पर आवेदन किया था। बच्ची के लिए राजस्थान राज्य चयन किया था। दम्पती के अलावा घर में मां है।
अब तक चार बच्चों को गोद लिया
जोधपुर में अब तक चार बच्चों को गोद लिया गया है। तीन बच्चाें को विदेशी दम्पती गोद ले चुके हैं। जबकि पहली बार किसी भारतीय दम्पती ने जोधपुर में बच्ची गोद ली है।
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गोद के लिए एक साल पहले किया था आवेदन
‘किशोर न्याय अधिनियम 2020 के संशोधित अधिनियम 2022 के तहत अब जिला कलक्टर की अनुमति से कोई भी बच्चे को गोद लिया जा सकता है। पहले फैमिली कोर्ट में औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बच्चा गोद मिलता था। जिसमें काफी समय व्यतीत होता था। जबकि अब एक पेशी में ही बच्चा गोद लिया जा सकता है। नए एक्ट के तहत महाराष्ट्र के व्यवसायी व उनकी पत्नी ने पांच माह की बच्ची को गोद लिया है। उन्होंने एक वर्ष पूर्व आवेदन किया था।’
डॉ बीएल सारस्वत, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग जोधपुर।
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मासूम बच्ची को माता-पिता मिल गए
‘सिर्फ एक दिन की बच्ची को पालना गृह में छोड़ दिया गया था। जिसे अब दम्पती ने गोद लिया है। दम्पती काफी खुश हैं। बच्ची को भी माता-पिता मिले हैं।’
दीपिका बिश्नोई, अधीक्षक, राजकीय शिशु गृह जोधपुर।

Source: Jodhpur

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