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जोधपुर।
टेक्सटाइल फैक्ट्रियों से निकल रहे केमिकलयुक्त रंगीन पानी को ट्रीट करने के लिए सालावास में प्रस्तावित कॉमन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीइटीपी) कागजों से बाहर नहीं आया है। इसकी वजह फण्ड की कमी बताई जा रही है। प्लांट की अनुमानित लागत करीब 300-350 करोड़ रुपए है। सरकार की ओर से एक कॉर्पस फण्ड बनाकर सीइटीपी के लिए 50 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए है। उद्यमियों का कहना है कि बड़े प्रोजेक्ट के लिए यह फण्ड बहुत कम है, इस फण्ड में सरकार को और अधिक राशि का प्रावधान करना चाहिए, तभी यह प्रोजेक्ट जल्द मूर्तरूप ले पाएगा। सालावास में बनने वाला सीइटीपी 25 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता वाला होगा। यह अत्याधुनिक (जीरो डिस्चार्ज) जेएलडी तकनीक वाला होगा।

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रीको ने दी निशुल्क जमीन

रीको जोधपुर ने जोधपुर पॉल्यूशन कंट्रोल एण्ड रिसर्च फाउंडेशन को निशुल्क भूमि का आवंटन किया था। रीको ने जोधपुर विकास प्राधिकरण को करीब ढाई करोड रुपए का भुगतान कर सालावास में 25 बीघा जमीन खरीदी थी। सभी आवश्यक औपचारिकताओं के बाद रीको प्रबंधन ने टोकन राशि मात्र 1 रुपए में यह जमीन फाउंडेशन को दी थी।

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अवैध भूमि पर संचालित हो रही 400 इकाइयां
वहीं औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध भूमि पर संचालित हो रही करीब 350-400 इकाइयों का अनुपचारित पानी जोजरी नदी व खेतों में धड़ल्ले से छोड़ा जा रहा है। इससे नदी के प्रदूषित होने के साथ ही आसपास के गांव व खेत बर्बाद हो रहे है।

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मौजूदा प्लांट की िस्थति

– 20 एमएलडी क्षमता सांगरिया िस्थत मौजूदा प्लांट की।

– 10 एकड़ भूमि पर बना है मौजूदा प्लांट ।
– 2003 में रीको ने निशुल्क भूमि आवंटन की थी ।

– 315 टेक्सटाइल इकाइयों का पानी ट्रीट हो रहा प्लांट से ।
– 90 स्टील री-राेलिंग इकाइयों का पानी ट्रीट हो रहा प्लांट से ।

– 1.50 करोड़ लीटर केमिकलयुक्त पानी को उपचारित किया जा रहा प्रतिदिन ।
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प्रदेश का सबसे बड़ा प्लांट होगा

वर्तमान में प्रदेश में जोधपुर के अलावा भिवाड़ी, पाली, बालोतरा, सांगानेर में प्लांट लगे हुए है। चार जगहों में सबसे बड़ा एक इकाई के रूप में व्यवस्थित वर्तमान संचालित प्लांट जोधपुर का है। अब नए प्लांट के बनने पर यह प्रदेश का सबसे बड़ा प्लांट होगा, क्योंकि इसकी क्षमता 25 एमएलडी होगी।

नए सीइटीपी के लिए राज्य सरकार से वित्तीय सहायता के साथ केन्द्र सरकार से भी वित्तीय सहायता की मांग की है। सरकारों को उद्यमियों की इस मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
जीके गर्ग, मैनेजिंग ट्रस्टी

जोधपुर पॉल्यूशन कंट्रोल एण्ड रिसर्च फाउंडेशन
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Source: Jodhpur

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