Posted on

जोधपुर. चन्द्रग्रहण खत्म होने के बाद मारवाड़ व थार के क्षेत्र में तापमान में गिरावट के साथ ही प्रवासी मेहमान परिन्दों के अलावा अब विभिन्न प्रजातियों के शिकारी पक्षियों ने भी डेरा डालना शुरू कर दिया है । इन शिकारी पक्षियों में पश्चिम एशिया, साइबेरिया, तिब्बत, मंगोलिया व नेपाल से स्टेपी चील, अफ्रीका तथा यूरोपीय देशों से पेरिविरियन एवं पराग्रीन फाल्कन, इराक व कजाकिस्तान से विभिन्न प्रजातियों के बाज ,हिमालय एवं मध्यपूर्वी एशिया से बजर्ड आदि दस्तक दे चुके है। शिकारी पक्षियों के अलावा जोधपुर सहित मारवाड़ के प्रमुख जलाशयों पर डेमोसाइल क्रेन ( कुरजां ) सहित 30 से अधिक प्रजातियों के पक्षी अब तक डेरा डाल चुके हैं ।

इस बार नए मेहमान भी

पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार इस बार शीतकाल में उत्तर – पूर्व पाकिस्तान एवं नेपाल में पाई जाने वाले शिकारी प्रजाति के स्नेक टोड ईगल व शॉर्ट टोड स्नेक ईगल भी पहुंचने लगे है।

पर्यावरण संतुलन का महत्वपूर्ण हिस्सा

शिकारी पक्षी पर्यावरण संतुलन का महत्वपूर्ण हिस्सा है । कई प्रजातियों के पक्षी मृत मवेशियों को ही अपना भोजन बनाते हैं जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद करता है । पर्यावरण प्रेमी राधेश्याम पेमानी ने बताया कि हवा में शिकार करने वाले स्टेपी ईगल सहित जैसलमेर जिले के भादरिया ओरण, धोलिया खेतोलाई के आसपास इन दिनों शिकारी पक्षी बाज, ईगल ऑउल, शॉर्ट टोड स्नेक ईगल, स्पाॅटेड ईगल, सिनेरियस वल्चर्स, टोनी ईगल नजर आने लगे है।

पक्षियों की समृद्ध परम्परा का हो संरक्षण

मारवाड़ में प्रवासी पक्षियों कुरजां व तिलोर के साथ साथ शिकारी पक्षी स्पॉटेड ईगल, ब्लेक शोल्डर काइट, स्टेपी ईगल, आस्प्रे, मोन्टेगू हेरियर आदि का आगमन हो चुका है। मरुस्थलीय क्षेत्र में गिद्ध प्रजातियों की आवक होने लगी है। पर्यटन और वनविभाग को थार में चिह्नित स्थलों पर प्रवासी पक्षियों की समृद्ध परम्परा के संरक्षण के स्थाई प्रबंध करने चाहिए ताकि यहां आने वाले सैलानी मरुस्थलीय जैव विविधता एवं प्रवासी पक्षियों को निहार सके।

डाॅ. हेमसिंह गहलोत, वन्यजीव विशेषज्ञ

Source: Jodhpur

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *