जोधपुर. आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई ) की ओर से मंडोर के प्राचीन किले की सार संभाल के लिए गोद देने की प्रक्रिया पूरी हुए करीब एक साल पूरा हो चुका है लेकिन धरातल पर अभी तक पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं तो दूर किसी भी तरह विकास कार्य नहीं हो पाया है। शाम ढलते ही पूरा किला क्षेत्र अंधेरे में डूबा रहने के कारण कई बार ताले टूटने परआर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के कर्मचारियों की ओर से पुलिस थाने में मामला तक दर्ज कराया जा चुका है। एएसआई के महेन्द्र प्रताप ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि हमने मंडोर किले को मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट को गोद दे दिया है। अब उसके संरक्षण से जुड़े सभी कार्य का जिम्मा उन्हीं का है। इसके लिए हमारी तरफ से कोई बजट देने का प्रावधान भी नहीं है।
अंग्रेजी बबूल भी नहीं हटे
मंडोर किला परिसर में अभी तक अंग्रेजी बबूल की झाडि़यों को भी नहीं हटाया जा सका है। कई बार क्षेत्र की झाडि़यों में कुछ शरारती लोगों की ओर से आगजनी की घटनाएं भी हो चुकी है।
गोद देने के बाद ये सुविधाएं विकसित होनी थी
पर्यटकों के लिए पेयजल सुविधा
कैफेटेरियापर्यटकों के बैठने के लिए बैंच
क्लॉक रूमलाइट एण्ड साउण्ड
इसकी अनुमति नहीं
आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के नियमानुसार किला परिसर में टायलेट अथवा सीवरेज लाइन, पानी की पाइप लाइन बिछाने के लिए किसी तरह के खुदाई अथवा निर्माण कार्य की अनुमति नहीं होगी।
Source: Jodhpur