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जोधपुर. कभी संगीत की दुनिया में अपनी मौजूदगी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले अनूठे साज का राज अब खत्म होने के कगार पर है। संगीत की दुनियां में जो प्रभाव राजस्थानी वाद्य यंत्रों का है वो विदेशी साजों से दूर दूर तक नहीं मिलता । इनमें से कुछ साज तो ऐसे हैं , जो म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं जबकि कुछ साज आज भी कला मर्मज्ञों के प्रयासों से प्रचलन में है, तो बचे कुचे साज राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर के म्यूजियम में इन दिनों धूल फांक रहे है।

Music Instrument

सिंधी सारंगी बिना राजस्थानी लोक संगीत अधूरा

हमारे पारंपरिक व लोकगीतों की धुनों की कर्णप्रियता को अमर करने में कई साजों का योगदान रहा है। उनमें दशकों पहले संगीत की दुनिया में सिंधी सारंगी का एकछत्र राज रहा। हालांकि वर्तमान में कुछ चुनिंदा संगीत के महारथी सिंधी सारंगी का प्रयोग कर अपनी संगीत सृजन की ख्याति को बरकरार रखे हुए हैं ।

ये वाद्य यंत्र भी नहीं आते नजर

लंगा जाति में प्रचलित गुजरातन सारंगी

सुरिंदारावण हत्था

डेढ़ फसली सारंगीवीणा

जंतरधाणी सारंगी

सुरमंडलमाटा

130 तरह के वाद्य यंत्रों का संग्रह

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी विगत छः दशकों से राजस्थानी कला, संस्कृति और लोकगायन एवं वादन परंपरा का संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में प्रयासरत है। अकादमी के संग्रहालय में राजस्थान की लोक परम्परा से जुड़े करीब 130 तरह के वाद्ययंत्र संग्रहित है। इनमें कमायचा, सारंगी, गुजराती सारंगी, मोरचंग, मुरला-मुरली, पूंगी, चंग, ताल, धन, सुषिर (स्वर वाद्य) एवं तत वाद्य (तार वाद्य) के महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र, खड़ताल, कमरताल, घंटी, घुंघरू, घुरिनिया, चिमटी, झांझ, झालर, हिकौडी, डंडिया, थाली, भैरूजी के घुंघरू, मंजीरा, रमझोत, वीरघंटा, श्रीमंडल, कमर कुंडी, खंजरी घडा, घेरा चक्र, डफ, डमरू, डेरू, ढाक, ढोल, ढोलक, तासा, दमामा, धूंसौं, नगाडा, नटों की ढोलक, भीलों का माटा, आदळ, मटकी, रावतों की रम्मत जैसे अनेक वाद्य यंत्र संग्रहित है। राजस्थानी लोक संगीत को विश्वफलक पर प्रतिष्ठिक करने वाले वाद्य यंत्रों में सुरिन्दा कमायचा और गुजराती व सिंधी सारंगी जैसे महत्वपूर्ण वाद्य यंत्रों का संग्रहण भी है।

रिनोवेशन के बाद खोल दिया जाएगा

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के संग्रहालय में राजस्थान की लोक परम्परा से जुड़े विभिन्न तरह के वाद्ययंत्र शामिल है। इन दिनों टाउन हॉल के विकास कार्य चलने के कारण संग्रहालय दर्शकों के लिए बंद है। रिनोवेशन के बाद मार्च तक दर्शकों के लिए पुन: खोल दिया जाएगा।

डॉ. सूरज राव, सचिव, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी

Source: Jodhpur

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